फिर राम-वनवास
भारतीय जनता पार्टी ने कृष्ण की तरह शिशुपाल के सौ अपराध पूरे होने दिए और जब घड़ा भर गया तो राम जेठमलानी को आधी-अधूरी सजा दे दी गई।कानून के दां राम जेठमलानी इतने नादान तो हैं नहीं कि उन्हें अपनी करतूत का अंजाम ही पता नहीं होगा। जब मोदी के हक में खड़े हुए और पार्टी अध्यक्ष की ही इज्जत उतारने लगे तो यह समझ में आ गया था कि ये लक्खन पार्टी से बाहर निकलने के ही हैं। राम जेठमलानी को पता है कि आने वाला कल सिर्फ... और सिर्फ नरेन्द्र मोदी के साथ ही सुरक्षित है।
गडकरी एंड क्पनी का कोई भविष्य नहीं है। जिनके अपने ठिकाने नहीं हों, उनसे अपने बारे में उ्मीद करना ही बेकार है। राम जेठमलानी एक तरह से अपनी पारी खेल चुके हैं और अब उन्हें बाकी दिन मजे से गुजारने हैं। गडकरी से ज्यादा दमदार मोदी हैं, यह उन्हें पता है, क्योंकि राम जेठमलानी अगर आज सांसद हैं तो मोदी की ही मेहरबानी से। ऐसा भी नहीं है कि रामजी पहली बार इस तरह की हरकत कर रहे हैं। जिस तरह वे अपनी वकालत में अच्छे-बुरे का भेद नहीं करते हैं और मोटी फीस मिले तो दाऊद का केस भी लड़ सकते हैं तो कल के लाभ के लिए वे आज कुछ भी कर सकते हैं।राम जेठमलानी को सस्पेंड कर भाजपा ने अपनी उस कमर को सीधा दिखाने की कोशिश की है, जो पिछले दिनों से झुकी हुई नजर आ रही थी। मगर इससे यह भी साबित होता है कि भाजपा उस समय कमर सीधी नहीं करेगी, जब अध्यक्ष नितिन गडकरी से इस्तीफे की मांग बड़े नेता कर रहे होंगे। वरना यशवंत सिन्हा, जसवंतसिंह और शत्रुघ्न सिन्हा को यूं ही क्यों छोड़ रखा है? क्या भाजपा अध्यक्ष के बारे में खुलेआम बोलना पार्टी में एकता की पहचान है? नितिन गडकरी को बचाए रखने के लिए भाजपा के लिए जरूरी है कि इस समय नजरें नीची रखें। यदि सीबीआई वाले मामले में राम जेठमलानी, अरुण जेटली-सुषमा स्वराज के खिलाफ खड़े नहीं होते तो आज भी पार्टी से उनका निलंबन नहीं होता। यानी अरुण जेटली- सुषमा स्वराज का कद आज भी भाजपा में अध्यक्ष नितिन गडकरी से निकलता हुआ है। पोले हाथ से सजा देकर भाजपा ने कुछ हासिल नहीं किया है। राम जेठमलानी को बर्खास्त कर बाकी नेताओं को सस्पेंड किया जाता तो भाजपा और उसके अध्यक्ष का दम नजर आता!
Comments
Post a Comment