Jai Shiv Shankar jai Gangadhar Karunakar Kartar Hare

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  1. जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,
    जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे
    जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,
    जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

    निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।
    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,
    मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,
    त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,
    काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,
    नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।
    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,
    किस मुख से हे गुणातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,
    जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,
    दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,
    पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।
    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,
    विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,
    सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,
    मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,
    विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।
    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,
    सरल हृदय, अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,
    निमिष में देते हैं, नवनिधि मन मानी शिव योगी,
    भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,
    स्वयम्‌ अकिंचन, जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।
    पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

    आशुतोष इस मोहमयी निद्रा से मुझे जगा देना,
    विषम वेदना से विषयों की मायाधीश छुड़ा देना
    रूप सुधा की एक बून्द से जीवन मुक्त बना देना
    दिव्य ज्ञान भंडार युगल चरणों की लगन लगा देना
    एक बार इस मन मंदिर पे कीजै प्रभु संचार हरे
    पार्वती पति हर हर शम्भू पाहि पाहि दातार हरे।

    दानी हो दो भीक्षा में अपनी अनपायिनी भक्ति प्रभो
    शक्तिमान हो दो अविचल निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो
    त्यागी हो दो इस अथाह संसार से पूर्ण विरक्ति प्रभो
    परम पिता हो दो तुम अपने चरणों में अनुरक्ति प्रभो
    स्वामी हो निज सेवक की सुन लेना करुण पुकार हरे
    पार्वती पति हर हर शम्भू पाहि पाहि दातार हरे।
    पार्वती पति हर हर शम्भू पाहि पाहि दातार हरे।

    तुम बिन व्याकुल हूँ परमेश्वर आ जाओ भगवंत हरे
    चरण शरण की मांग गहो हे उमा रमन प्रिय कंत हरे
    विरह व्यथित हूँ दिन दुखी हूँ दीन दयाल आनंद हरे
    आ जाओ मेरे हो जाओ आ जाओ श्रीमंत हरे
    मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे
    पार्वती पति हर हर शम्भू पाहि पाहि दातार हरे.
    पार्वती पति हर हर शम्भू पाहि पाहि दातार हरे

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  2. Suresh kumar choukse wants update

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