अब नहीं तो कब...?
अगर सचिन तेंडुलकर के हाथ-पैर साथ नहीं दे रहे हैं और फिर भी उन्हें खेलते रहने का हक है तो सुनील गावस्कर को भी यह अधिकार है कि सचिन को अब घर बैठने की सलाह दें। यदि सचिन फिल्मों में होते तो दो-चार फिल्म फ्लाप होते ही पूरी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें घर बैठा देती, क्योंकि तब सचिन पर प्रोड्यूसर के पैसे लग रहे होते, जो दस के सौ कमाने के लिए पूंजी दावं पर लगाता है। फिल्मी दुनिया की यही खूबी है कि कलाकार फ्लॉप हुए नहीं कि उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। कुछ तो चुपचाप बैठ जाते हैं और कुछ अपनी जीवनभर की कमाई दावं पर लगाकर खुद को साबित करने में लगे रहते हैं। मगर यहां क्रिकेट में गांठ से तो कुछ नहीं जा रहा है तो फिर मुफ्त का चंदन घिसते रहने में नंदन के पिताजी क्या जाता है। जब भारत की धीमी विकेट पर सचिन का बल्ला सौ किलो का हो रहा है और पेड-बेट के बीच इतनी जगह छूट रही है कि डंडे उड़ने की हैटट्रिक हो गई तो समझ लेना चाहिए कि वो दिन हवा हुए, जब पसीना भी डियोड्रेंट हुआ करता था, जबकि क्रिकेट में नए-नए खिलाड़ी दरवाजे पर लगातार घंटी बजा रहे हैं तो इन चुके हुए खिलाड़ियों को अब जगह खाली कर देना चाहिए। लक्ष्मण के वाकये से सचिन ने कुछ नहीं सीखा है कि ‘अभी क्यों’ पूछा जाना बेहतर है, ‘अब तक क्यों’ की बजाय! कप्तान धोनी ने लक्ष्मण को जरूर ऐसा ही कुछ कह दिया होगा कि पार्टी में बुलाने के लिए धोनी का फोन नंबर भी उन्हें नहीं मिला। इन दो टेस्ट में देखें कि नए बच्चे ही कमाल कर रहे हैं।
सचिन तेंडुलकर पर खेल का भूत
सवार है या बाजार का दबाव कि वे बल्ला टांगने के बारे में सोच भी नहीं रहे हैं। पांच गेंद खेलकर एक रन बनाने वाले सचिन को क्या अपनी दुर्गति नजर नहीं आ रही है? उन्हें भी लक्ष्मण या द्रविड़ की तरह घर बैठाया जाएगा? ग्रेग चैपल ने अपने रिटायरमेंट की तारीख पहले से तय कर दी थी और आखिरी टेस्ट में सैकड़ा बनाने के बाद भी अपने फैसले की लाज रखी थी, इसीलिए उन्हें ग्रेग चैपल कहा जाता है। पैसे के लिए अपने स्मान को भी दावं पर लगा देने वाले जब दृश्य से हटते हैं तो उनकी नायक की तरह विदाई नहीं होती है। याद आती है ब्रायन लारा की वह प्रेस-कांफ्रेंस, जिसमें उन्होंने आखिरी मिनट में उठते-उठते कह दिया था कि दो दिन बाद वे अपना आखिरी मैच खेलेंगे। गयाना ही नहीं, पूरी क्रिकेट दुनिया ने उस दिन खून के आंसू बहाए थे। सचिन को ये बातें जरा कम समझ में आती हैं तो इसका यह मतलब भी तो नहीं है कि उन्हें चाहने वाले भी मुंह में दही जमाए बैठे रहें। हर बात में सुनील गावस्कर को आगे रखने वाले सचिन इस मामले में क्यों कर रहे हैं?
Comments
Post a Comment