Posts

Showing posts from September, 2012

दरकते किले का प्रबंधक

चुप चौपायों का हक!

रेल का खेल

अखरती तारीफ!

अखरती तारीफ!

चंद लोगों का बंद!

दरार के करार!

छोटा दल, बड़ा दखल

लोकतंत्र या दलतंत्र!

बाजार का दबाव कि वे बल्ला टांगने के बारे में सोच नहीं रहे ....

अब नहीं तो कब...?

सजा इसी का नाम है

कानून के हाथ... और पुलिस के!

लगा लेता हूं सीने से... दुश्मन जो सच्चा देखता हूं

उन्मुक्‍त-विचार