कालसर्प योग में पदारूढ़ होंगे प्रणब


कालसर्प योग में पदारूढ़ होंगे प्रणब






(डॉ. नवीन जोशी)
भोपाल, २४ जुलाई। देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने जा रहे प्रणब मुखर्जी के लिए बुधवार २५ जुलाई के दिन से अगले ३ वर्ष संघर्षकाल के रहेंगे। देश में काफी उतार-चढ़ाव के संकेत ज्योतिष बता रहे हैं। दरअसल, राष्ट्रपति पद पर शपथ का वक्त 'कालसर्प योग' में तय हुआ हैं।
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उल्लेखनीय हैं कि देश की आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री के पद पर पं. नेहरू ने भी 'कालसर्प योग' में ही शपथ ग्रहण की थी और देश में काफी उथल-पुथल मची थी। ज्योतिषाचार्य पं. विष्णु राजौरिया के अनुसार कालसर्प योग १० जुलाई को दिन के १.४० पर प्रारंभ हुआ था, जो ३० जुलाई प्रात: १.५६ पर समाप्त होगा। हालांकि इस बार कालसर्प योग में गुरु की पूर्ण दृष्टि राहू पर हैं और केतु के साथ उसकी युति हैं इसलिए राष्ट्रपति के सामने चुनौतीपूर्ण काम आएंगे ये तय है। देश को भी गंभीर संकट के दौर से गुजरना पड़ेगा। २९ जुलाई की रात १.५६ पर चंद्रमा धनु राशि में प्रवेश करेगा तब कालसर्प योग समाप्त होगा।
निर्णय विवादित रहे
ग्वालियर के ज्योतिष श्री महेशचंद्र बांदिल (महेशानंद) कहते हैं कि पं. नेहरू नेे कालसर्प योग में शपथ ग्रहण की थी और १५ अगस्त १९४७ को भी यही योग बना। यह 'कालÓ दुविधापूर्ण निर्णय करवाता हैं, वैसे भी पं. नेहरू की कुंडली में कालसर्प योग था, इसी कारण उनके निर्णय विवादित ज्यादा रहे। भोपाल के ज्योतिषाचार्य पं. हेमचंद्र पांडेय की माने तो कालसर्प योग उसी व्यक्ति के लिए अनुकूल होता है, जिनकी जन्मकुंडली में राहू-केतु अच्छे स्थान पर हो। प्रणब  के लिए शुरुआती वक्त संघर्ष से भरा रहेगा।
 शनि तुला में
वैसे ये छाया ग्रह हैं, विशेष क्षति से की संभावना कम हैं। ४ अगस्त को शनि तुला राशि में आएगा उसके बाद काल ठीक हैं। कुछ इसी तरह की राय पं. एन.के. अवस्थी की भी है। उनका कहना है कि देश का राजनैतिक, सामाजिक स्तर अनिष्टकारक हो सकता है। इस काल में देश में काफी उतार-चढ़ाव होंगे और राष्ट्रपति के शपथ का दिन तथा समय उपयुक्त नहीं कहा जा सकता हैं।
बृहस्पति बलवान
 उज्जैन के पंचागकर्ता पं. आनंद शंकर व्यास के अनुसार प्रणब मुखर्जी का सत्ताग्रहण काल ११.४५ कन्या लग्न की कुंडली का है, जिसमें मंगल-शनि संघर्ष पैदा करेंगे। इनके शुरुआती ५-७ महीने अत्यंत संकटकाल के रहेंगे। कई बार इन्हें अप्रिय निर्णयों का सामना करना पड़ेगा और ऐसे भी काम करना होंगे, जो राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र से परे होंगे। यदि सत्ताग्रहण समय में बृहस्पति बलवान न होता तो देश के लिए और भी संकटकाल रहता।
संकट कालीन स्थिति
ज्योतिषियों की राय में देश के संवैधानिक प्रमुख पद पर विराजमान हो रहे प्रणब  को कालसर्प योग में पदभार ग्रहण करने की वजह से संघर्ष के दौर से गुजरना होगा और देश में संकटकालीन स्थिति भी निर्मित होगी।

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