कार्यकर्ताओं में पनपने लगा असंतोष ?


भारतीय जनता पार्टी उन पार्टियों में से है, जिनके नीति, रीति और सिद्धांत के साथ-साथ चाल-चरित्र और चेहरा अन्य पार्टियों से अलग है, शायद यही वजह है कि वह इसी सिद्धांतों के चलते आज सत्ता में है, लेकिन सत्ता में आते ही पार्टी के नेताओं ने अपने सभी सिद्धांतों को त्याग दिया है, ऐसा लग रहा है तभी तो पार्टी में दलबदलुओं और सत्ता के दलालों को तवज्जो दिये जाने का एक नया सिलसिला जारी है, यही नहीं पार्टी ने सत्ता में आते ही अपने देव दुर्लभ कार्यकर्ताओं को तवज्जो न देकर इन दलबदलुओं और बाहरी नेताओं को तवज्जो देने का काम धड़ल्ले से जारी है, जिसके कारण पार्टी में असंतोष तो पनप ही रहा है, लेकिन अब यह असंतोष इस स्तर पर पहुंच गया है कि भाजपा का आम कार्यकर्ता अपने नेताओं और अपने द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधि को धमकियां देने पर भी उतारू हो गए हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है शुजालपुर के भाजपा विधायक जसवंत सिंह हांडा के साथ्ज्ञ उनके ही विधानसभा क्षेत्र के युवक मनोहर ने भाजपा विधायक को यह धमकी दे डाली कि वह जब भी उनके क्षेत्र में आएंगे तो उनका स्वागत जूतों के साथ किया जाएगा, भले ही इस मामले में यह तर्क दिया जा रहा हो कि मनोहर के पिता धीरज सिंह मेवाड़ा जो कि भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और बीते विधानसभा चुनाव में जसवंत सिंह की जगह चुनाव लडऩा चाहते थे तब उन्हें यह आश्वासन दिया गया था कि वह  हांडा को चुनाव लडऩे दें, जब भी निगम मण्डलों का चयन होगा तो उसमें उन्हें स्थान दिया जाएगा। लेकिन हाल ही में जारी निगम मण्डलों की सूची में मनोहर के पिता को कोई तवज्जो नहीं दी गई तो उससे नाराज मनोहर ने भाजपा के विधायक को इस तरह की धमकी दे डाली, इस घटना को भले ही भाजपा के नेता इस तरह के बयान के सहारे लोगों का ध्यान दूसरी ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हों लेकिन यह घटना तो घटना है और यह कहावत भी है कि नानी मर गई लेकिन मौत ने घर देख लिया, हाल ही में घोषित निगम मण्डलों की सूची के बाद लगभग यह स्थिति पूरे प्रदेश में है क्योंकि जहां जब भी उपचुनाव हुए या आमचुनाव के दौरान ऐसे लोकप्रिय और जनप्रिय नेताओं को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा अपने चहेतों को चुनाव लड़ाने के उद्देश्य से इसी तरह के झुनझुने पकड़ाये और इस तरह के नेताओं के आश्वासनों के चलते अकेले धीरज सिंह मेवाड़ा ही नहीं बल्कि प्रदेश में ऐसे कई जनप्रिय और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को पार्टी नेताओं द्वारा समय-समय पर दिये गये हैं लेकिन वह आश्वासन आज तक पूरे नहीं हुए हैं और अभी तक यह सभी इसी आस में बैठे थे कि जब लाल बत्तियों के नवाजने का दौर चलेगा तब उसमें उनका नाम जरूर शामिल  किया जाएगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ लेकिन मुख्यमंत्री ने जिनका की इस तरह की लाल बत्ती से नवाजने का अधिकार है, अंधा बांटे रेवड़ और चीन्ह चीन्ह  कर दे को करते हुए अपनों को ही उपकृत करने का काम किया और वह ऐसा क्यों न करें क्योंकि उनका यह अधिकार क्षेत्र है कि जब किसी को उपकृत किया जाना है तो अपनों को तवज्जो दें, तभी तो आगे वह उनका साथ दे सकेंगे चाहे फिर वह सत्ता में हों या सत्ता के बाहर, सत्ता में रहते हर कोई अपने समर्थकों की फौज तैयार करने में लग जाता है अगर ऐसा मुख्यमंत्री शिवराज ने किया तो कोई नई बात नहीं है लेकिन अब देखना यह है कि शुजालपुर विधायक के खिलाफ उठे इस तरह के विवाद और कहां-कहां से उठेंगे और उन्हें शांत करने के लिये पार्टी के नेता किस तरह की रणनीति अपनाएंगे।
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अब प्रदेश का विकास अपनों के साथ .........
प्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने के लिए हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री कितने गंभीर हैं, इसका जीता जागता उदाहरण है, उनकी लगन और मेहनत के चलते आज प्रदेश का भले ही कागजों में विकास हुआ हो लेकिन इन फर्जी आंकड़ों और कागजी घोड़े दौड़ाने के भरोसे ही प्रदेश को कई योजनाओं में कई पुरस्कार प्राप्त हुए, यह अलग बात है कि जिन योजनाओं में प्रदेश को पुरस्कार मिले वह योजना धरातल पर कितनी सार्थक हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है प्रदेश में किसानों की बदहा ली और उनके द्वारा मौत को गले लगाने की घटनायें, लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश सरकार दिन-रात प्रदेश को स्वर्णिम बनाने का ढिंढोरा पीटने में पीछे दिखाई नहीं दे रही है, प्रदेश के विकास और सरकारी योजनाओं को चूना लगाने वाले मंत्रियों, अधिकारियों सत्ता के दलालों और ठेकेदारों के गिरोह के चलते इन दिनों राज्य में एक मुख्यमंत्री के विकास को लेकर चर्चा आम है, उक्त चर्चा के अनुसार एक नेताजी के कुछ समर्थक उनकी तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी के सिलसिले में एक क्षेत्र में आमसभा की तैयारी करने पहुंचे, तो वहां की आम जनता ने जब नेताओं के समर्थकों को खदेड़ा तो वह सब नेताजी के पास दौड़े-दौड़े आए और उनके साथ घटित घटना की खबर दी तो कार्यकर्ताओं की बात सुनकर नेताजी बोले ऐसा नहीं हो सकता हमारे क्षेत्र की जनता हमारी प्रबल समर्थक है और वह हमारे साथ बगावत नहीं कर सकती है, जरूर तुम लोगों ने कुछ उल्टा-सीधा कहा होगा, तभी वह आक्रोशित हुए होंगे नेताजी की लाख समझाईश के बाद भी उनके कार्यकर्ता जाने को तैयार नहीं हुए तो नेताजी बोले चलो मैं चलता हूं देखता हूं क्या वजह है, अपने कार्यकर्ताओं की फौज लेकर जब नेताजी वहां पहुंचे और आम सभा की तैयारी में उनके कार्यकर्ता जुटने लगे तो जिस तरह का बर्ताव आम जनों ने उनके कार्यकर्ताओं के साथ किया तो नेताजी देखते ही रह गए और इसके जवाब में वह बोले तो पत्थरों से सिर फूटेगा जख्मी होंगे अण्डे और धूल मिट्टी से शरीर खराब होगा, अब तो टमाटर आदि लाओ तो ठीक रहेगा, अपने नेता पर इस तरह की हमले के जवाब से आश्चर्यचकित जनता ने सोचा कि हमारा नेता तो बहुत मजबूत और पक्का है तो वह शांत हो गए और शांत होने के बाद नेताजी ने पूछा आखिर ऐसी नाराजगी क्यों? इसके जवाब में आक्रोषित जनता ने नेताजी से कहा कि आप दो बार चुनाव लड़ चुके हैं और दो बार में आपको ही जिताकर अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिये भेजा लेकिन इसके बाद भी  हमारी समस्यायें कम नहीं हुई और न ही हमारे क्षेत्र का विकास हुआ, इसके जवाब में नेताजी ने आक्रोषित जनता से कहा कि भाई ऐसा क्यों सोचते हो, हम तो विकास के लिए ही आपके प्रतिनिधि बने हैं लेकिन हमारा जो फार्मूला है उसके अनुसार पहले हमने अपना विकास किया और दूसरी बार जीतने पर अपने परिजनों और नाते रिश्तेदारों का विकास किया और अब अगली बार यानि तीसरी बार हम आप सबके विकास के लिये हम वचनबद्ध हैं, इस बार विजयी बनाईये  आपका जरूर विकास होगा, क्षेत्र में खुशहाली आएगी, आपकी समस्यायें दूर करने का भरसक प्रयास किया जाएगा। इस चर्चा के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विकास के इस नये फार्मूले जो कि उन्होंने हाल ही में अपनाया जिसके चलते अभी तक पंचायत स्तर पर सरपंच पतियों के द्वारा सरकारी योजनाओं और क्षेत्र के विकास में भागीदारी अपनाने की जो पहल की उसका ही परिणाम है कि प्रदेशभर के सरपंचों पर सरकारी योजनाओं में घोटाला और राशि हजम करने को लेकर तमाम मामले सामने आए, तो उन सरपंचों की ग्राम पंचायत में आने वाले क्षेत्रों का भले ही विकास नहीं हुआ हो लेकिन शायद ही प्रदेश में ऐसा कोई सरपंच हो जिसकी सरपंची के चलते विकास हुआ जिसके चलते सरंचों की सम्पत्ति में इजाफा तो हुआ ही है तो वहीं प्रदेशभर के अधिकांश सरपंच आलीशान गाडिय़ों में फर्राटे लेते नजर आ रहे हैं इससे निचले स्तर पर विकास होने का तो दावा किया ही जा सकता है, शायद इसी से प्रेरणा लेकर अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास के लिये अब एक नया फार्मूला तैयार किया है, जिसके तहत अब विकास अपनों के साथ की रणनीति तैयार की जा रही है और उसकी पहल धार  जिले के प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा और उनके दामाद आईएएस मनु शुक्ला को जिले की कलेक्टरी देकर यह फार्मूला अपनाया जाने की पहल की गई कि ससुर-दामाद अब धार जिले का स्वर्णिम विकास करेंगे, अभी तक तो राज्य के मंत्रियों के प्रभारी जिले में चल रही शराब की फैक्ट्रियों और शराब के कारोबारियों के साथ जिले के प्रभारी मंत्री होन ेके कारण भागीदारी की चर्चाएं थीं अब इस रणनीति के चलते प्रभारी मंत्री के साथ जब उनके नाते-रिश्तेदार कलेक्टर के रूप में पदस्थ होंगे तो किन-किन योजनाओं में भागीदारी होगी यह तो भविष्य बताएगा इस नई रणनीति के चलते ऐसे अधिकारियों की तलाश की जा रही है जो मंत्री के नाते-रिश्तेदार हों तो वहीं यह फार्मूला अब जिलों के बाद वल्लभ भवन और प्रमुख विभागों पर भी लागू होगा जहां ऐसे अधिकारियों के बारे में जानकारी तैयार की जाएगी जिसके पति या तो आईएएस तो पत्नी विभाग प्रमुख या पत्नी आईएएस हैं और पति विभाग प्रमुख ऐसे दम्पत्तियों को एक ही विभाग का दायित्व सौंपा जाएगा जैसे सबकुछ आसानी से हो सके और अधिकारियों के विभाग की कार्यवाही में कोई अड़चन न आ सके जो इस तरह की घटनायें इस समय आम हैं कि मंत्री का साथ उनके पीएस नहीं दे रहे हैं तो विभाग प्रमुखों को आईएएस पीएस का सहयोग नहीं मिल रहा है और वह हर योजना की फाइल दबाए बैठे हुए हैं, लेकिन अब नई नीति के चलते जहां ससुर-दामाद भैया-भाभी, पति-पत्नी ऐसे अधिकारियों की पदस्थापना की जाएगी जिससे विकास कार्य में आनेवाले अड़ंगे सामने न आएं, इस योजना के चलते अब प्रदेश का विकास अपनों के साथ या अपनों का विकास अपनों के साथ यह जांच का विषय है लेकिन विकास तो विकास होता है चाहे प्रदेश का हो, समाज का हो या व्यक्ति का इसी फार्मूले को अपनाकर अब प्रदेश में शायद नई रणनीति को अपनाते हुए धार के विकास में ससुर-दामाद को सहभागी बनाने का काम प्रदेश सरकार ने किया है जो आगे चलकर अन्य नाते-रिश्तेदारों में भी लागू किये जाने की संभावना है।

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