अंबानी की कंपनी की हालत खस्ता है…?

भोपाल । अनिल अंबानी की कंपनी की हालत खस्ता है…? यह हम नहीं कह रहे, यह तो अनिल अंबानी की कंपनी द्वारा मध्यप्रदेश सरकार के समक्ष पेश किए गए दस्तावेजों का ‘सच’  है। अनिल अंबानी ग्रुप ने प्रदेश में सासन पावर प्रोजेक्ट स्थापित किया है। कई और बड़े निवेश का वायदा इस ग्रुप ने शिवराज सरकार से कर रखा है। सासन पावर प्रोजेक्ट में अनिल अंबानी ग्रुप करों में छूट चाहता है। कंपनी ने इसके लिये बाकायदा आवेदन प्रस्तुत कर रखा है। सरकार सिर धुन रही है। खबर तो यह भी है कि अनिल अंबानी ने सरकार को दो-टूक चेता दिया है कि यदि चाही गई छूट नहीं मिली तो उनका ग्रुप प्रदेश में प्रस्तावित 45 हजार करोड़ रुपए का निवेश नहीं करेगा। शिवराज सरकार निवेश को लेकर लंबे वक्त से जतन कर रही है। देशी और विदेशी निवेश के लिए कई इन्वेस्टर समिट्स सरकार कर चुकी है। इंदौर में आखिरी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट हुई थी। अंबानी बंधुओं से लेकर देश के तमाम नामी-गिरामी उद्योगपतियों के साथ विदेशी निवेशक भी आए थे। बढ़-चढ़कर हरेक ने निवेश का भरोसा दिलाते हुए हजारों करोड़ रुपए के निवेश का ऐलान किया था। इसके पहले हुई समिट्स में भी निवेश की घोषणाएं देश और विदेश के बड़े औद्योगिक घरानों ने की थीं। सरकार का दावा था कि 6 लाख करोड़ रुपए के आसपास के करार औद्योगिक घरानों से हुए हैं। डेढ़ बरस से ज्यादा का समय गुजर रहा है, निवेश को लेकर इक्का-दुक्का बड़े औद्योगिक घराने ही गंभीर नजर आए हैं। इंदौर समिट के पूर्व की समिट में हुए एमओयू को लेकर भी हालात कुछ ऐसे ही रहे हैं। बहरहाल, लौटे अनिल अंबानी ग्रुप की कहानी पर। गु्रप ने सिंगरौली में लगाए गए सासन पावर प्रोजेक्ट को आर्थिक रूप से बाधित निवेश परियोजना बताया है। संवर्धन नीति 2014 का हवाला देते हुए परियोजना के लिए ‘सहायताÓ मांगी है। सहायता के तहत कई प्रकार के करों में छूट अनिल अंबानी ग्रुप चाहता है। ग्रुप के आवेदन से उद्योग महकमे में खलबली का आलम है। विभाग की तेजतर्रार और उसूलों वाली मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, अनिल अंबानी ग्रुप के आवेदन को एंटरटेन करने के पक्ष में कतई नहीं है। उन्होंने पहली नजर में आवेदन को खारिज कर दिया था। मगर विभाग के अफसर मंत्री के फैसले से इत्तेफाक नहीं रख पाए। अनिल अंबानी ग्रुप को छूट देने संबंधी प्रस्ताव मुख्यमंत्री को बढ़ा दिया गया। मामला कैबिनेट भेजा गया। फिलहाल अंतिम फैसला नहीं हो पाया है।
ये छूट चाही गई है 
मेसर्स सासन पावर प्रोजेक्ट को आर्थिक रूप से बाधित निवेश परियोजना मानते हुए अनिल अंबानी ग्रुप ने वित्तीय वर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में कोल उत्पादन पर चुकाई जाने वाली रॉयल्टी की अनुमानित राशि में क्रमश: 204.17 करोड़, 203.61 करोड़ और 203.61 करोड़ रुपए की प्रतिपूर्ति चाही है। इसी तरह उपरोक्त तीन वित्तीय सालों के लिए अनिल अंबानी ग्रुप ऑक्जीलरी बिजली उपयोग पर लगने वाले विद्युत शुल्क 507.08 करोड़ रुपए की छूट चाहता है। साल 2015-16 में ग्रुप ने 169.34 करोड़ और 2016-17 एवं 2017-18 में 168.87-168.87 करोड़ आंकलित विद्युत शुल्क को आस्थगित रखने की मांग प्रदेश सरकार से की है।
क्या कहती है नीति
उद्योग संवर्धन नीति 2014 में वित्तीय बाध्यताओं का सामना कर रही 500 करोड़ रुपए से ज्यादा लागत वाली परियोजनाओं में सहायता का प्रावधान है। वित्तीय तनाव ग्रस्त इकाइयों को सरकारी देयताओं जिसमें रायल्टी एवं सरकारी ड्यूटी शामिल है (करों को छोड़कर) को अधिकतम 12 साल की अवधि के लिए आस्थगित रखने की अनुमति देने का प्रावधान है। नीति में एक अहम शर्त यह रखी गई है कि कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत कंपनी हेतु नियुक्त विधिक लेखा परीक्षक (स्टेट्यूचरी ऑडिटर) द्वारा दिए गए प्रमाण-पत्र के आधार पर ही किसी भी इकाई को वित्तीय बाध्यता के तहत पात्र माना जाएगा। नीति में यह भी प्रावधान है कि यदि कानून के प्रावधानों के कारण आस्थगन संभव न हो तो ऐसी इकाई राशि जमा कराने और उसे ऋण के रूप में समतुल्य अवधि के लिए वापिसी हेतु दावा करने के लिए पात्र होगी।
ट्रायफेक को देना होगा आवेदन
नीति में एमपी ट्रायफेक को आवेदन प्रस्तुत करने की बाध्यता है। प्रावधान है कि प्लांट एवं मशीनरी में किये गये निवेश के प्रमाणीकरण हेतु विधिक लेखा परीक्षक का प्रमाण पत्र, इकाई आर्थिक रूप से बाधित हुई हो तो वित्तीय वर्ष अनुसार अंकेशित लेखा, अनुमानित सहायता राशि और अग्रणी वित्तीय संस्थान की सिफारिश आदि के प्रमाण आवेदन के साथ नत्थी करना आवश्यक होंगे।
दो बार दी है परियोजना बंद करने की धमकी
मेसर्स सासन पावर लिमिटेड को दो बार बंद करने की धमकी अनिल अंबानी ग्रुप दे चुका है। तमाम कारण और कठिनाईयों के साथ वित्तीय बाध्यताएं पहले भी गिनाई गई हैं। ग्रुप ने एक बार तो इस परियोजना को पीएफसी को वापस ले लेने की अपील भी की थी।
विभागीय प्रस्ताव मेंजिक्र भर
अनिल अंबानी ग्रुप के आवेदन के परीक्षण उपरांत उद्योग विभाग ने विधिक लेखा परीक्षक का प्रमाण नहीं दिए जाने का जिक्र भर अपने प्रस्ताव किया है। प्रस्ताव में सीधे तौर पर तो नहीं, लेकिन घूमा-फिराकर छूट दिए का पक्ष प्रबल किया गया है। नीति की तमाम शर्तों का उल्लेख विभाग द्वारा कैबिनेट को भेजी जाने वाली संक्षेपिका (प्रति बिच्छू डॉट काम के पास है) में करते हुए कहा गया है कि कंपनी के वित्तीय लेखों पर कोई विपरीत टिप्पणी नहीं की गई है।
सासन पावर प्रोजेक्ट पर एक नजर
मेसर्स रिलायंस पावर लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी ने मेसर्स सासन पावर लिमिटेड की स्थापना की है। मध्यप्रदेश के सिंगरौली में 660 मेगावाट वाली छह इकाइयां स्थापित की गई हैं। इस परियोजना की कुल क्षमता 3960 मेगावाट है। कोयला आधारित परियोजना की स्थापना पर 27 हजार 546 करोड़ रुपए की स्थायी पंूजी का निवेश प्रस्तावित है। अनिल अंबानी की कंपनी 31 मार्च 2015 तक प्लांट एवं मशीनरी में 22,113 करोड़ रुपए का निवेश कर चुकी है। ग्रुप ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की बिडिंग प्रक्रिया में 1.196 रुपए प्रति यूनिट की दर से विद्युत आपूर्ति के आधार पर परियोजना को हासिल किया था। कुल पैदा होने वाली बिजली में भारत सरकार के अलावा 1500 मेगवाट बिजली हर साल मध्यप्रदेश सरकार देने का करार इसमें शामिल है। अनिल अंबानी ग्रुप ने 1.196 रुपए प्रति यूनिट की दर से 25 सालों तक मध्यप्रदेश को बिजली देने का करार कर रखा है।
नहीं दिया है प्रमाण
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अनिल अंबानी ग्रुप ने विधिवत किए अपने आवेदन में नियामक घोषणाओं के परिणामों में देरी, निर्माण अवधि के दौरान नियमों में परिवर्तन और विदेशी मुद्रा में परिवर्तन को कंपनी के वित्तीय बाध्यताओं में घिरने के मुख्य कारण बताए हैं। इन्हीं दलीलों के साथ छूट चाही गई है। दिलचस्प बात यह है कि कारण नीति के अनुसार हैं, लेकिन नीति की ही एक जरूरी शर्त विधिक लेखा परीक्षक का प्रमाण पत्र अनिल अंबानी ग्रुप ने नहीं दिया है। प्रमाण पत्र पेश नहीं कर पाने को लेकर आवेदन में आईसीएआई (इंस्ट्टीयूट ऑफ चार्टर्ड एकांउटेंट्स ऑफ इंडिया) के एक जनवरी 2006 के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि अनुमानित वित्तीय आंकलन के आधार पर कोई भी विधिक लेखा परीक्षक किसी भी कंपनी की वित्तीय दशा को प्रमाणित नहीं कर सकता है।
जमीन वापस की, पैसे लौटाने को कहा
खजुराहो समिट के बाद हुई समिट में भोपाल में धीरू भाई अंबानी मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना की घोषणा भी अधूरी है। शुरुआत में अनिल अंबानी गु्रप इस ट्रस्ट को लेकर संजीदा रहा। जमीन का आवंटन करते हुए सरकार ने जरूरी प्रक्रियाएं पूरी कीं। बाद में कुछ कारण गिनाते हुए ग्रुप ने ममोरियल ट्रस्ट से न केवल हाथ खींच लिए बल्कि जमीन भी सरकार को लौटा दी। इस ट्रस्ट में निवेश किये गए 10 करोड़ लौटाने का तकाजा ग्रुप प्रदेश सरकार से कर चुका है।
डिफेंस पार्क प्रोजेक्ट में भी मांगी है छूट
अनिल अंबानी ग्रुप सासन के अलावा 3 हजार करोड़ रुपए की लागत वाले डिफेंस पार्क प्रोजेक्ट में भी कुछ छूट चाहता है। इस प्रोजेक्ट में 3600 करोड़ रुपए की छूट अलग-अलग मदों में चाही गई है। तमाम दलीलें देते हुए कुल 17 तरह की छूट ग्रुप ने चाही है। प्रदेश का वित्त विभाग किसी भी तरह की छूट के पक्ष में नहीं है। उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया तो कैबिनेट उपसमिति की बैठक में तमाम तरह के सवाल उठा चुकी हैं। उनके वीटो के चलते ही उप-समिति किसी भी तरह के निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई थी।
सीएम से मिल चुके हैं अनिल अंबानी
अनिल अंबानी डिफेंस प्रोजेक्ट समेत अन्य मसलों को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा कर चुके हैं। सूत्रों की माने तो अनिल अंबानी मांगी गई छूट नहीं मिलने पर प्रदेश में आगे निवेश से अपने हाथ खींच लेने की तैयारी में हैं। करीब 45 हजार करोड़ रुपए की अलग-अलग प्रस्तावित परियोजना में आगे वे कोई दिलचस्पी नहीं दिखाएंगे। इसकी तैयारी है। इधर प्रदेश सरकार चाहती है कि निवेश किसी भी सूरत में मध्यप्रदेश के हाथों से नहीं जाए। इसी कोशिश के चलते अनिल अंबानी के ग्रुप को चाही गई छूटों में कुछ राहत देने की तैयारी सरकार कर रही है। फैसले जल्द होने की उम्मीद सूत्र जतला रहे हैं।
36.8 प्रतिशत का लाभ
सासन पावर प्रोजेक्ट में आर्थिक बाध्यता का उल्लेख करते हुए अनिल अंबानी के ग्रुप ने जहां छूट चाही है वहीं जुलाई से सितंबर 2015 के त्रैमासिक लेखा-जोखा में 36.8 प्रतिशत का लाभ ग्रुप को होने की बात कही गई है। जानकार साफ कह रहे हैं कि यदि ग्रुप हाल के क्वार्टर में 37 प्रतिशत के लगभग का प्रॉफिट अर्न कर रहा है तो आर्थिक बाध्यता जैसी बात सीधे-सीधे बेमानी प्रतीत होती है।
75000 करोड़ निवेश का दावा टांय-टांय फिस्स
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 2010 में खजुराहो में आयोजित की गई इन्वेस्टर समिट में अनिल अंबानी ने प्रदेश में 75 हजार करोड़ रुपए के भारी-भरकम निवेश का भरोसा दिलाया था। उन्होंने कहा था कि उनका ग्रुप हर घंटे ढाई करोड़ रुपए की राशि मध्य प्रदेश में निवेश करेगा। यह दावे कुछ ही समय बाद हवा हो गए थे। दावों में मैहर में 30 हजार करोड़ रुपए की लागत वाला सीमेंट प्लांट लगाए जाने का दावा भी शामिल था। सिंगरौली में 650 करोड़ रूपये की लागत से एक प्रायवेट एयरपोर्ट की स्थापना भी खजुराहो समिट की निवेश घोषणाओं में शुमार थी।

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