सेवा के सौदागर

सेवा के सौदागर केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी के एनजीओ में गड़बड़ी का आरोप लगा है और ऐसा ही आरोप कभी कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी के एनजीओ पर लगाया था।
जितने भी एनजीओ काम कर रहे हैं, ज्यादातर नेताओं, अफसरों और प्रभावशाली लोगों के हैं और कुल जमा उद्देश्य सरकारी खैरात की बंदरबांट है। जब से सरकार ने स्वयंसेवी संगठनों से कल्याणकारी योजनाओं में मदद लेने का काम शुरू किया, तब से देश में एनजीओ की बाढ़ आ गई। अकेले मध्यप्रदेश में पचहत्‍तर हजार एनजीओ हो गए और पचास हजार से ज्यादा अपने पते पर ही नहीं मिल रहे। समाजसेवा की आड़ में सरकारी धन डकारने का इससे बढ़िया और कोई काम ही नहीं बचा। इंदौर में चल रहा शहला मसूद कांड दो महिलाओं के एनजीओ में सत्तारूढ़ नेताओं की कृपा का झगड़ा ही तो है, जिसमें एक को मोटा सरकारी धन मिला और दूसरे को नहीं। जाहिर है कि सेवा की आड़ में सरकारी धन की खुली लूट की छूट का सबसे बड़ा सहारा है एनजीओ और इससे राजनीति, धर्म, समाज और प्रशासन का कोई चेहरा अछूता नहीं रहा।
सरकार को जनता के धन की हिफाजत के लिए सबसे पहले इस लूट पर रोक लगानी चाहिए और जनता के कल्याण के काम इस तरह की बोगस संस्थाओं से कराने की बजाय सीधे विभागीय स्तर पर कराना चाहिए। कम से कम धन का कुछ हिस्सा तो लोगों तक पहुंचे। यदि जांच हो जाए तो आंख खुल जाए कि इन योजनाओं के अरबों रुपए ऐसी फर्जी संस्थाओं के सहारे लोगों की जेबों में जा चुके हैं और मेवा खा चुके एनजीओ का सेवा से कोई लेना-देना नहीं। जितनी जल्दी हो, इस पर रोक लगे। यदि किसी एनजीओ को सेवा करनी ही है तो वह सरकारी मदद के बिना भी करेगा और मैदान में टिका रहेगा। जितना धन सरकार से नहीं मिलता, उतना विदेश से उगा लेते हैं सेवा के सौदागर।

Comments