तुलसी वृक्ष ना जानिये।
गाय ना जानिये ढोर।
ब्राह्मण मनुज ना जानिये।
ये तीनों नन्दकिशोर।
अर्थात
तुलसी को कभी पेड़ ना समझें
गाय को पशु समझने की गलती ना करें
और ब्राह्मण को कोई साधारण मनुष्य समझने की
भूल ना करें
क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान रूप हैं।
गाय ना जानिये ढोर।
ब्राह्मण मनुज ना जानिये।
ये तीनों नन्दकिशोर।
अर्थात
तुलसी को कभी पेड़ ना समझें
गाय को पशु समझने की गलती ना करें
और ब्राह्मण को कोई साधारण मनुष्य समझने की
भूल ना करें
क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान रूप हैं।
अबे चुप रह तुलसी गाय ये दोनी पूजनीय हैं पर ब्राम्हण कब का भगवान का रूप हो गया साला जन्म भर का पापी दूसरे देश से आया हुआ दोगला
ReplyDeleteTere jaise gavar logo ko kya pata ve chutiye....
DeleteTum saale bahar se laaye gaye thai bhandwa majduri k liye...
Chutiya saale
Apne baap se puch chutiye pata chal jayega brahman kyo pujniya hai..
DeleteJahil saale
बेहद सुंदर रचना। यह तुलसीदास जी ने लिखा है।
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