सरकारी खरीदी प्रदेश के छोटे उद्यमियों से....
अब 50 प्रतिशत सरकारी खरीदी प्रदेश के छोटे उद्यमियों से होगी
राज्य सरकार ने नये भण्डार क्रय नियम प्रभावशील किये
डॉ. नवीन जोशी
भोपाल।अब प्रदेश के सरकारी कार्यालयों, सरकारी उपक्रमों, निगम-मंडलों, विपणन संघ, सहकारी संस्थाओं, मंडी बोर्ड एवं कृषि उपज मंडियों एवं पंचायत व नगरीय निकायों में फर्नीचर, स्टेशनरी, पेपर, कम्प्यूटर, वर्दी आदि की 50 प्रतिशत खरीदारी प्रदेश के छोटे उद्यमियों से की जायेगी। इस संबंध में राज्य सरकार ने वाणिज्यि एवं उद्योग विभाग के अधीन बने सालों पुराने स्टोर परचेस नियमों को खत्म कर नवनिर्मित ''मप्र भण्डार क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम,2015ÓÓ प्रभावशील कर दिये हैं।
नये नियमों के तहत अब सरकारी कार्यालयों के लिये आरक्षित वस्तुओं की खरीदी की एजेन्सी मप्र लघु उद्योग निगम, हस्तशिल्प निगम, हाथकरघा बुनकर संघ एवं खादी ग्रामोद्योग बोर्ड होंगे जिन्हें सेवा शुल्क के रुप में 2 प्रतिशत हर खरीदी आदेश के मूल्य पर मिलेंगे। इन एजेन्सियों द्वारा अखिल भारतीय निविदा के माध्यम से क्रय की स्थिति में प्रदेश के उद्योगों को प्राथमिकता दी जायेगी। अखिल भारतीय निविदा में प्रदेश के बाहर की इकाई की दर न्यूनतम होने की दशा में 50 प्रतिशत क्रय प्रदेश के बाहर की इकाई से तथा शेष 50 प्रतिशत प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से न्यूनतम दर पर किया जायेगा। प्रदेश की इकाई के दर के न्यूनतम होने की दशा में 100 प्रतिशत क्रय आदेश प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के माध्यम से ही किया जायेगा।
नये नियमों में यह भी प्रावधान किया गया है कि प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को निविदा प्रस्तुत करने हेतु टेण्डर फार्म नि:शुल्क उपलब्ध कराये जायेंगे और उन्हें प्रतिभूति राशि यानी अर्नेस्ट मनी के भुगतान से भी छूट रहेगा। अब लघु उद्योग निगम को क्रयादेश प्राप्त होने के 30 दिवस के अंदर संबंधित विभाग को क्रयादेश के संबंध में की गई कार्यवाही से अवगत कराना होगा।
नये प्रावधान के तहत एक वित्तीय वर्ष में विभागाध्यक्ष को एक लाख रुपये तक तथा प्रशासकीय विभाग को एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक की खरीदी बिना इन भण्डार क्रय नियमों का पालन किये करने की अनुमति होगी यानी वे किसी भी इकाई से यह सीधे खरीदी कर सकेंगे। इसके अलावा अब बिना कोटोशन या टेण्डर आमंत्रित किये बीस हजार रुपये तक मूल्य की सामग्री की खरीदी की जा सकेगी परन्तु ऐसा एक माह में पांच बार से अधिक बार नहीं किया जा सकेगा।
राज्य सरकार ने नये भण्डार क्रय नियम प्रभावशील किये
डॉ. नवीन जोशी
भोपाल।अब प्रदेश के सरकारी कार्यालयों, सरकारी उपक्रमों, निगम-मंडलों, विपणन संघ, सहकारी संस्थाओं, मंडी बोर्ड एवं कृषि उपज मंडियों एवं पंचायत व नगरीय निकायों में फर्नीचर, स्टेशनरी, पेपर, कम्प्यूटर, वर्दी आदि की 50 प्रतिशत खरीदारी प्रदेश के छोटे उद्यमियों से की जायेगी। इस संबंध में राज्य सरकार ने वाणिज्यि एवं उद्योग विभाग के अधीन बने सालों पुराने स्टोर परचेस नियमों को खत्म कर नवनिर्मित ''मप्र भण्डार क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम,2015ÓÓ प्रभावशील कर दिये हैं।
नये नियमों के तहत अब सरकारी कार्यालयों के लिये आरक्षित वस्तुओं की खरीदी की एजेन्सी मप्र लघु उद्योग निगम, हस्तशिल्प निगम, हाथकरघा बुनकर संघ एवं खादी ग्रामोद्योग बोर्ड होंगे जिन्हें सेवा शुल्क के रुप में 2 प्रतिशत हर खरीदी आदेश के मूल्य पर मिलेंगे। इन एजेन्सियों द्वारा अखिल भारतीय निविदा के माध्यम से क्रय की स्थिति में प्रदेश के उद्योगों को प्राथमिकता दी जायेगी। अखिल भारतीय निविदा में प्रदेश के बाहर की इकाई की दर न्यूनतम होने की दशा में 50 प्रतिशत क्रय प्रदेश के बाहर की इकाई से तथा शेष 50 प्रतिशत प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से न्यूनतम दर पर किया जायेगा। प्रदेश की इकाई के दर के न्यूनतम होने की दशा में 100 प्रतिशत क्रय आदेश प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के माध्यम से ही किया जायेगा।
नये नियमों में यह भी प्रावधान किया गया है कि प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को निविदा प्रस्तुत करने हेतु टेण्डर फार्म नि:शुल्क उपलब्ध कराये जायेंगे और उन्हें प्रतिभूति राशि यानी अर्नेस्ट मनी के भुगतान से भी छूट रहेगा। अब लघु उद्योग निगम को क्रयादेश प्राप्त होने के 30 दिवस के अंदर संबंधित विभाग को क्रयादेश के संबंध में की गई कार्यवाही से अवगत कराना होगा।
नये प्रावधान के तहत एक वित्तीय वर्ष में विभागाध्यक्ष को एक लाख रुपये तक तथा प्रशासकीय विभाग को एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक की खरीदी बिना इन भण्डार क्रय नियमों का पालन किये करने की अनुमति होगी यानी वे किसी भी इकाई से यह सीधे खरीदी कर सकेंगे। इसके अलावा अब बिना कोटोशन या टेण्डर आमंत्रित किये बीस हजार रुपये तक मूल्य की सामग्री की खरीदी की जा सकेगी परन्तु ऐसा एक माह में पांच बार से अधिक बार नहीं किया जा सकेगा।
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