दिग्गी राजा के कार्यकाल में स्टाफिंग पैटर्न के नाम पर हुर्इ 1210 अवैध नियुकितयाँ
- पूर्व सहकारिता मंत्री गोविन्द सिंह, अफसर शहजाद खान और एस.एस. उप्पल र्इ.ओ.डब्ल्यू. के घेरे में
- 2002-03 से जाँच में लंबित मामले की रातों रात गायब करा दी गर्इ फार्इलें
- मुख्य सचिव को देना है 4 महीने में अवैध नियुकितयों का रिकार्ड
डा॰ नवीन आनंद जोशी
भोपाल | मध्यप्रदेश में अवैध नियुकितयों का सिलसिला नया नहीं है, दिगिवजय सिंह के कार्यकाल में एक-दो नहीं, बलिक 1210 अवैध नियुकितयाँ तत्कालीन सहकारिता मंत्री डा. गोविन्द सिंह ने स्टाफिंग पैटर्न के नाम पर करार्इ थी, जबकि तत्कालीन प्रमुख सचिव डा. जे.एल. बोस ने इन अवैध भर्ती और नियम विरूद्ध नियुकितयों को अनुचित करार देते हुए रदद करने का आदेश भी दिया था । बावजूद इसके गोविन्द सिंह और दिगिवजय सिंह ने केबिनेट में न केवल उन नियुकितयों को मंजूर करा दिया बलिक आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में दर्ज प्राथमिकी जाँच क्रमांक 132004 की फार्इलें भी भाजपा शासनकाल में गायब करवा दीं ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जे.पी. गृह निर्माण सहकारी संस्था भिण्ड के विरूद्ध दर्ज र्इ.ओ.डब्ल्यू. की एफ.आर्इ.आर. में जाँच हो रही थी, डा. गोविन्द सिंह के अवैध रूप से अध्यक्ष बनने की, लेकिन मामला खुला तो स्टाफिंग पैटर्न पर जिला सहकारी बैंकों की 17 जिलों में 1210 कर्मचारियों की अवैध नियुकितयों का रहस्य उजागर हो गया । बताया जाता है कि सहकारिता आयुक्त, शहजाद खान, एस.एस. उप्पल, गोविन्द सिंह के सहायक एम.एल. सोनी पर धार 120-बी, 420 ता.हि. एवं 13(1) डी सहपठित 13(2) पी.सी. एक्ट 1988 का अपराध घटित होना पाया जाकर इन्हें इन नियुकितयों में राज्य आर्थिक अपराधअन्वेषण ब्यूरो ने दोषी माना । उल्लेखनीय यह है कि तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त एवं प्रमुख सचिव सहकारिता डा. जे.एल. बोस ने बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 की धारा 11(1) के प्रावधानों के तहत इस तरह की नियुकितयों को अनुचित करार दिया था और अपने पत्र क्र. एफ-15-308200315-1 भोपाल दिनांक 30.10.2003 को इन नियुकितयों को रदद करने की सिफारिश भी की थी । मजेदार बात यह है कि भाजपा के शासनकाल में 12 साल से यह 1210 अवैध नियुकितयाँ ' सुशासन के नारे को मुँह चिढ़ा रही हैं ।
इस सम्बंध में सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव का मानना है कि '' हमने पहले ही ऐसी नियुकितयाँ जो कांग्रेस शासनकाल में हुर्इ थी उनका विरोध किया है लेकिन प्रमाणों के अभाव में हम पूरी तरह से किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पाए । दूसरी तरफ कानून के जानकार मानते हैं कि हार्इकोर्ट जबलपुर की याचिका क्र. 1982013 दिनांक 06.08.2015 के निर्णय पर अब मुख्य सचिव एन्टोनी डिसा को चार महीने में सभी अवैधनियुकितयों को निरस्त करके दोषी पर प्रकरण बनाने की चुनौती का सामना करना है । श्री डिसा से इस बारे में बात की गर्इ तो वे फोन पर उपलब्ध नहीं हुए ।
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