मर्जर सहित अन्य कब्जे की जमीनें अब विनियमित हो सकेंगी

मर्जर सहित अन्य कब्जे की जमीनें अब विनियमित हो सकेंगी
शिवराज सरकार ने भू-राजस्व संहिता में संशोधन का अध्यादेश जारी किया
डॉ. नवीन जोशी
भोपाल।चाहे भोपाल में नवाबी रियासतकालीन मर्जर एक्ट की भूमि का विवाद हो या कटनी में अंगेे्रजों के समय के कानून से विवादित भूमि का, अब ऐसी सालों से अनधिकृत कब्जे वाली जमीनों को राज्य सरकार निर्धारित शुल्क लेकर विनियमित कर सकेगी। इस संबंध में प्रदेश की शिवराज सरकार ने विधि विभाग के माध्यम से अध्यादेश जारी कर दिया है।
राजस्व विभाग के उपायुक्त विधि अशोक कुमार गुप्ता के अनुसार, अब अध्यादेश के तहत राज्य सरकार ऐसी कब्जे वाली भूमियों को जो भले ही शहरी क्षेत्र में हों या ग्रामीण क्षेत्र में, चिन्हित करेगी तथा उन्हें विधिवत नोटिफाई कर दावे एवं आपत्तियां बुलायेगी तथा फिर उसके विनियमितीकरण की कार्यवाही करेगी। श्री गुप्ता ने बताया कि अभी अध्यादेश में प्रावधान किया गया है तथा फिर विस्तृत नियम बनाये जायेंगे तथा इसके बाद ही ज्ञात हो सकेगा कि कौन-कौन सी अनधिकृत कब्जे वाली भूमि विनियमित होगी।
अध्यादेश में प्रावधान किया गया है कि भूमि स्वामी अधिकारों का धारण करने वाला व्यक्ति आवंटन की तिथि के दस वर्ष बाद भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका में अहस्तांतरणीय की प्रविष्टि को हटाने के लिये आवेदन कर सकेगा तथा उपखण्ड अधिकारी ऐसी भूमि के बाजार मूल्य के दस प्रतिशत के समतुल्य राशि के भुगतान होने पर ऐसी प्रविष्टि हटा सकेगा। यदि भूमि का ऐसा अंतरण वर्ष 2000-2001 या उससे पूर्व का है तो वित्तीय वर्ष 2000-2001 के बाजार मूल्य की दस प्रतिशत के समतुल्य राशि और ऐसी राशि पर 1 अप्रैल,2000 से नौ प्रतिशत साधारण ब्याज लिया जायेगा। यदि ऐसी भूमि का ऐसा अंतरण वर्ष 2000-2001 के पश्चात किया गया है तो अंतरण की तारीख को ऐसी भूमि के बाजार मूल्य के दस प्रतिशत के समतुल्य राशि और ऐसी राशि पर ऐसे अंतरण की तारीख से नौ प्रतिशत साधारण ब्याज लिया जायेगा।
इसी प्रकार अब डायवर्सन हेतु भूमि के बाजार मूल्य के दो प्रतिशत के बराबर राशि ली जायेगी जो पहले बाजार मूल्य की बीस प्रतिशत थी।

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