राष्ट्र आराधना से सर्वांगीण उन्नति का मंत्र दे गए नानाजी....

राष्ट्र आराधना से सर्वांगीण उन्नति का मंत्र दे गए नानाजी


नानाजी देशमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे । अल्पायु में उन्होंने घर छोड़ उत्तरप्रदेश को अपनी कर्मभूमि बनाया। गोरखपुर क्षेत्र में संघ शाखाओं का विस्तार उन्हीं की देन है। गांधी की हत्या के पश्चात झूठा आरोप संघ पर लगाकर
$img_titleप्रतिबंध लगाया गया। उस समय दीर्घकाल तक जेल में रहने के कारण बहुत सारे परिवारों के लिए जीविका भी दूभर हो गई। रचनात्मक कार्यों के प्रयोगधर्मी नानाजी देशमुख ने पहला शिशु मंदिर गोरखपुर में प्रारम्भ किया। उसके बाद शिशु मंदिरों की श्रृंखला सारे भारत में फैल  गई। नानाजी की वजह से शैक्षणिक क्रांति पैदा हुई। नानाजी देशमुख भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे। इंदिरा गांधी ने जिस समय भारतीय संविधान को समाप्त कर सभी नियंत्रणों से मुक्त होकर एक अधिनायक के रूप में शासन सत्ता को अपने हाथ में ले लिया, उस समय भारत को तानाशाही से मुक्त कराने के लिए जयप्रकाश नारायण की समग्र क्रांति को जिन्होंने सफलता तक पहुंचाया और देश में प्रजातंत्र की पुन: स्थापना की, उसमें नानाजी देशमुख का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। राष्ट्र निर्माण की उनकी ललक ने चित्रकूट में विभिन्न प्रकल्पों की शुरूआत को बल दिया, जो आज दुनियाभर में मिसाल बन गया है। रचनात्मक कार्य के सिपाही नानाजी ने अपने जीवनकाल में सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में ऐसा काम किया है, जो सदैव अनुकरणीय रहेगा। उनका केन्द्रीय मंत्रिमण्डल का पद परित्याग कर समस्त देशवासियों एवं विलय हुए भारतीय जनसंघ के सदस्यों के सामने आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने इस माध्यम से यह संदेश दिया कि मात्र सत्ता एवं कुर्सी ही हमारा लक्ष्य नहीं है। राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति ही हमारा आदर्श एवं लक्ष्य है ।

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