अफसरों की लालफीताशाही और शिक्षा मंत्री की ठीलपोल से रूका नया पाठ्यक्रम


- पाठ्यक्रम निर्धारण समिति की अनुशंसा 10 महीने से धूल खा रही है
- राज्य शिक्षा केन्द्र ने वित्त की आपत्ति के नाम पर फोड़ा ठीकरा
( डाॅ. नवीन आनंद जोशी )
भोपाल/ केन्द्र सरकार के महत्वाकांक्षी नये पाठ्यक्रम बदलाव कार्यक्रम को मध्यप्रदेश के अफसरों ने ठेंगा दिखा दिया है, यही नहीं राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को अंधेरे में रखकर इस वर्ष से लागू होने वाले स्कूली पाठ्यक्रम को उनकी मंशा के विपरीत अगले वर्ष तक के लिए टाल दिया है । सूत्र बताते हैं कि पाठ्यक्रम निर्धारण समिति ने अपनी अनुशंसा और नये पाठ्यक्रम की पूरी पाण्डुलिपि अगस्त 2015 में ही तैयार कर ली थी जो अब तक राज्य शिक्षा केन्द्र और शिक्षा विभाग के बीच धूल खा रही है । अलबत्ता राज्य शिक्षा केन्द्र ने वित्त विभाग की आपत्ति बताकर नये पाठ्यक्रम को छपने के लिये टैक्स्ट बुक कार्पोरेशन को नहीं दिया है । 
कक्षा 1 से 8 एवं 9 से 12 के स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव की नीति केन्द्र की मोदी सरकार ने सभी राज्यों में एक साथ लागू करने का ऐलान किया था। अधिकांश राज्यों ने अपने यहाँ सी.बी.एस.ई. पैटर्न पर स्कूली पाठ्यक्रम को उन्नत और प्रयोगधर्मी बनाते हुए वर्ष 2016 के सत्र से इसे लागू करने का कदम उठाया है । इसमें मध्यप्रदेश इसलिये पिछड़ गया है क्योंकि यहाँ के अधिकारी नहीं चाहते कि स्कूली पाठ्यक्रम में सरलता और सहजता से बदलाव हो । साथ ही केन्द्र और राज्य की सरकारों को बदनाम करने का उनका षडयंत्र सफल हो, इसलिये जानबूझकर पाठ्यक्रम बदलाव मार्च 2016 तक न करवाने के जतन किये गये हैं । उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री श्री चैहान ने जनवरी 2016 तक हर हाल में नये पाठ्यक्रम के प्रकाशन की डेडलाईन तय की थी । पाठ्यक्रम निर्धारण समिति के अध्यक्ष डाॅ. गोविन्द शर्मा के अनुसार उन्होंने अगस्त 2015 में ही पाठ्यक्रम की अनिवार्य औपचारिकता पूरी करके राज्य शिक्षा केन्द्र को भेज दी थी किन्तु वहाँ के अधिकारियों ने इसे टी.बी.सी. को भेजा ही नहीं और यह कहकर कि वित्त विभाग की अनुशंसा के बाद प्रकाशन होगा इसे आज तक लाल फीते में बांधकर रखा गया है । दूसरी तरफ राज्य शिक्षा केन्द्र की प्रमुख दीप्ति गौड़ मुखर्जी कहती हैं कि केबिनेट की बैठक में हमने प्रस्ताव दे रखा है वह मंजूर होगा तब ही पाठ्यक्रम का प्रकाशन हो सकेगा । जानकार बताते हैं कि पाठ्यक्रम प्रकाशन में वित्त विभाग या केबिनेट की अडंगे की बात फिजूल है क्योंकि यह प्रकाशन सीधे राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा कराया जाता रहा है । राज्य के शिक्षा मंत्री पारस जैन ने समूचे मामले में ढीलपोल बरतते हुए न तो अधिकारियों को तेजी लाने का कहा और न ही खुद इस मामले में सक्रिय हो सके । नतीजा स्कूली पाठ्यक्रम वर्ष 2016 के शैक्षणिक सत्र से लागू नहीं हो पाएगा । शिक्षा मंत्री पारस जैन के अनुसार हमने पाठ्यक्रम बदलाव के लिये पूरी तैयारी  कर रखी है । वर्ष 2017 से सी.बी.एस.ई. पैटर्न पर गणित एवं विज्ञान विषय में परिवर्तन किया   जाएगा । 
कुल मिलाकर शिक्षा मंत्री की कमजोर प्रशासनिक पकड़ तथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों में इच्छाशक्ति का अभाव है जिसके कारण मुख्यमंत्री जी को प्रदेश और देश के सामने नीचा देखने को मजबूर होना पड़ा है । 

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