ग्वालियर के बाद प्रदूषण के मामले में इंदौर, भोपाल और जबलपुर....
वायु प्रदूषण के सबसे अधिक चपेट में आए देश के पांच शहरों में सूबे का ग्वालियर शहर भी शामिल है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल यहां सैकड़ों लोगों की मौत वायु प्रदूषण से होने वाले रोगों के कारण हो जाती है। प्रदूषण के मामले में देश में इसका तीसरा स्थान है।
ग्वालियर के बाद में प्रदूषण के मामले में इंदौर, भोपाल और जबलपुर शहर हैं। एक अध्ययन के मुताबिक उच्च रक्तचाप, आंतरिक वायु प्रदूषण, तंबाकू का सेवन और कुपोषण के बाद होने वाली मौतों में वायु प्रदूषण प्रदेश में लोगों की मौत का पांचवां सबसे बड़ा कारण है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अभी तक सूबे में मॉसट्रांसपोर्ट सिंस्टम लागू नहीं किया गया है। वहीं इंदौर को छोड़कर राज्य में कहीं भी प्रदूषण जांच केन्द्र स्थापित नहीं किए गए हैं।
जीवन के लिए घातक गैसों के उत्सर्जन का स्तर देखें तो प्रदेश में ग्वालियर में पीएम 10 (पार्टिकूलेट मेटर) के फैलने का स्तर अकेले महाराजवाड़ा में 318.54 है। एनओएक्स (नाइट्रोजन आक्साइट) 26.40 और एसओटू (सल्फरडाई आक्साइड) 25.32 पर मौजूद है, जो कि प्रदेश में सबसे अधिक है। महाराजवाड़ा के बाद हवा में अधिक प्रदूषण दीनदयाल नगर में है। प्रदूषण का यह स्तर इंदौर में दूसरे, भोपाल में तीसरे और सबसे कम जबलपुर में है।
भोपाल में हमीदिया रोड के वायुमंडल में इन गैसों का प्रभाव बहुत अधिक है। इसके बाद सीईटीपी गोविन्दपुरा व पर्यावरण परिसर क्षेत्र में वायुप्रदूषण मौजूद है। जबलपुर के विजयनगर क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो अन्य जगह वायु प्रदूषण का स्तर बहुत कम है।
सबसे अधिक प्रदूषण फैल रहा पेट्रोलियम पदार्थों से
ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर या प्रदेश के अन्य शहरों में वायुमंडल में प्रदूषण फैलने के लिए यदि किसी को जिम्मेदार माना जाए तो वह है पेट्रोलियम पदार्थों में बहुत अधिक मिलावट का किया जाना। अकेले डीजल में मिलावट के कारण ग्वालियर में वायुमंडल पर 51.31 प्रतिशत नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस मामले में भी इंदौर प्रदेश में दूसरे नंबर पर है। इंदौर में यह प्रभाव 20.86, भोपाल 15.94 और जबलपुर में 5.72 प्रतिशत इसका नकारात्मक प्रभाव देखा गया है।
कैंसर, अस्थमा जैसी बीमारियां बढ़ी
राज्य प्रदूषण बोर्ड से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वायु प्रदूषण के लिए पार्टिकूलेट मेटर (पीएम 10) नाइट्रोजन आक्साइट (एनओएक्स) और सल्फरडाइ आक्साइट (एसओटू) जैसी गैसें प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। एक चीफ कैमेस्टि ने बताया कि मोटर वहन, बिजली संयत्र, लकड़ी, जंगल की आब व औद्योगिक प्रक्रियाओं सहित अन्य कारणों से फैलने वाले अकेले पीएम-10 के ज्यादा उत्सर्जन से ही स्वास्थ्य पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे इन्फ्लूएंजा, अस्थमा, फेफड़ों के रोग, क्षय एवं कैंसर जैसी घातक बीमारियां तेजी से फैलती हैं।
ग्वालियर के बाद में प्रदूषण के मामले में इंदौर, भोपाल और जबलपुर शहर हैं। एक अध्ययन के मुताबिक उच्च रक्तचाप, आंतरिक वायु प्रदूषण, तंबाकू का सेवन और कुपोषण के बाद होने वाली मौतों में वायु प्रदूषण प्रदेश में लोगों की मौत का पांचवां सबसे बड़ा कारण है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अभी तक सूबे में मॉसट्रांसपोर्ट सिंस्टम लागू नहीं किया गया है। वहीं इंदौर को छोड़कर राज्य में कहीं भी प्रदूषण जांच केन्द्र स्थापित नहीं किए गए हैं।
जीवन के लिए घातक गैसों के उत्सर्जन का स्तर देखें तो प्रदेश में ग्वालियर में पीएम 10 (पार्टिकूलेट मेटर) के फैलने का स्तर अकेले महाराजवाड़ा में 318.54 है। एनओएक्स (नाइट्रोजन आक्साइट) 26.40 और एसओटू (सल्फरडाई आक्साइड) 25.32 पर मौजूद है, जो कि प्रदेश में सबसे अधिक है। महाराजवाड़ा के बाद हवा में अधिक प्रदूषण दीनदयाल नगर में है। प्रदूषण का यह स्तर इंदौर में दूसरे, भोपाल में तीसरे और सबसे कम जबलपुर में है।
भोपाल में हमीदिया रोड के वायुमंडल में इन गैसों का प्रभाव बहुत अधिक है। इसके बाद सीईटीपी गोविन्दपुरा व पर्यावरण परिसर क्षेत्र में वायुप्रदूषण मौजूद है। जबलपुर के विजयनगर क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो अन्य जगह वायु प्रदूषण का स्तर बहुत कम है।
सबसे अधिक प्रदूषण फैल रहा पेट्रोलियम पदार्थों से
ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर या प्रदेश के अन्य शहरों में वायुमंडल में प्रदूषण फैलने के लिए यदि किसी को जिम्मेदार माना जाए तो वह है पेट्रोलियम पदार्थों में बहुत अधिक मिलावट का किया जाना। अकेले डीजल में मिलावट के कारण ग्वालियर में वायुमंडल पर 51.31 प्रतिशत नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस मामले में भी इंदौर प्रदेश में दूसरे नंबर पर है। इंदौर में यह प्रभाव 20.86, भोपाल 15.94 और जबलपुर में 5.72 प्रतिशत इसका नकारात्मक प्रभाव देखा गया है।
कैंसर, अस्थमा जैसी बीमारियां बढ़ी
राज्य प्रदूषण बोर्ड से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वायु प्रदूषण के लिए पार्टिकूलेट मेटर (पीएम 10) नाइट्रोजन आक्साइट (एनओएक्स) और सल्फरडाइ आक्साइट (एसओटू) जैसी गैसें प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। एक चीफ कैमेस्टि ने बताया कि मोटर वहन, बिजली संयत्र, लकड़ी, जंगल की आब व औद्योगिक प्रक्रियाओं सहित अन्य कारणों से फैलने वाले अकेले पीएम-10 के ज्यादा उत्सर्जन से ही स्वास्थ्य पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे इन्फ्लूएंजा, अस्थमा, फेफड़ों के रोग, क्षय एवं कैंसर जैसी घातक बीमारियां तेजी से फैलती हैं।
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