सरकार गांवों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे.....

आज भारत के शहरों की सबसे बड़ी समस्या हैं झुग्गी-झोंपड़ी वाली बस्तियां जो निरंतर बढ़ रही साथ ही बढ़ रही शहरों में गरीबों की संख्या. इन बस्तियों की वजह से शहर में खाली जमीने भर जाती हैं साथ ही गंदगी भी बढती हाँ जो पूरे शहर को गन्दा कर के रख देती हैं. यह बस्तियां ज्यादातर शहर के नदी नाली के आस पास बसाई जाती हैं जिससे शहर को मिलने वाला पानी भी प्रदूषित होता हैं. यह बस्तियां रेलवे की जमीनों पर भी अवैध कब्ज़ा कर लेती हैं क्योंकि ऐसी बस्तियां रेलवे लाइन के आस पास भी बस्ती हैं पर सबसे बड़ा सवाल क्या इसमें गलती इन लगों की हैं या हमारी सरकार. आखिर ऐसा क्यों रहा हैं.

जवाब साफ़ हैं इसमें गलती इन गरीब लोगों की नहीं हैं बल्कि हमारी सरकार और कॉर्पोरेट घरानों की हैं. इन बस्तियों में जायदातर वोह लोग रहते हैं जो गांव छोड़कर शहर आते हैं और फिर यहाँ जैसे तैसे एक बस्ती खड़ी कर लेते हैं क्योंकि पक्के मकान तो इनको कोई देगा नहीं साथ ही वोटेबंक के लिए स्थानीय नेता ऐसी अवैध बस्तियों को बसने पूरी मदद देते हैं और उन्हें बिजली और पानी भी मुहैया करा देते हैं. यह वोह लोग हैं जिन्हें इनके गांव में रोजगार नहीं मिलता अब सबसे बड़ा सवाल गांव में रोजगार क्यों नहीं मिलता तो इसका जवाब हैं सरकारी नीतियां जिसके तहत इन गरीब लोगों की जमीने गांव में छें ली जाती हैं और उन्हें कॉर्पोरेट घरानों को दे दी जाती हैं विकास के नाम पर जिसमे देश का विकास तो होता नहीं पर सरकार और कॉर्पोरेट घरानों का विकास जरूर होता हैं.

वहीँ यह गरीब लोग वोह थोड़ी सी रकम ले लेते हैं या इन्हें जबरदस्ती इन्हें थमा दी जाती हैं और यह रकम जब कुछ दिनों में खत्म होती हैं तो रोटी के लाले पड़ते हैं अब चूँकि खेती या जमीन तो रही नहीं तो गांव में रहकर यह करते क्या सो यह लोग चले आते शहर में अपना घर बार छोड़ कर और यहाँ से शुरू होती हैं इनकी जिंदगी की दुर्गति और साथ ही शहरों की दुर्गति. गांव में सरकार न तो इनके लिए चिकत्सा और शिक्षा बंदोबस्त करती हैं बल्कि इन्हें बेघर और बेजमीन कर के शहर जाने को मजबूर करती हैं जिससे शहर में नयी झुग्गियों की बस्तियां बनती हैं और भिखारी भी बढते हैं. जब इन्हें शहर में रोजगार नहीं मिलता तो इनमे से कुछ लोग अपराध करने को भी मजबूर हो जाते हैं क्योंकि पापी पेट के आगे किसी का बस नहीं और इस तरह शहर में अपराध और अपराधियों की संख्या भी बढती हैं और इससे शहरों का संतुलन बिगड़ता हैं.

समय आ गया हैं अब कि सरकार गांवों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे. इन निर्दोष गाँव वालो की जमीने छीनना बंद करें नहीं तो आने वाला समय शहर में रहने वाले लोगों के लिए बहुत ही बुरा होने वाला हैं उन्हें नयी नयी बीमारियों और बड़े बड़े अपराधों और अपराधियों को झेलने के लिए तैयार होना पड़ेगा. भ्रस्ताचार से क्या हो सकता हैं इसका भी यह एक उदहारण हैं.

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वंदे मातरम

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