एक दिन भी विधायक रहने वाले हुये पेंशन के हकदार
अब राज्य के वे सभी जनप्रतिनिधि मप्र विधानसभा से पन्द्रह हजार रुपये
प्रति माह पेंशन पाने के हकदार हो गये हैं जो विधानसभा में एक दिन भी सदस्य
रहे हों। ऐसा हुआ है राज्यपाल रामनरेश यादव द्वारा विधानसभा द्वारा पारित
मप्र विधानसभा सदस्य वेतन,भत्ता तथा पेंशन द्वितीय संशोधन विधेयक,2012
मंजूर करने से। इस विधेयक को संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 6
दिसम्बर,2012 को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया था और यह 10
दिसम्बर,2012 को सदन में चर्चा के बाद पारित हुआ था।
इस प्रावधान
के अब कानूनी रुप लेने से वे एक दर्जन जनप्रतिनिधि पेंशन पाने के हकदार हो
गये हैं जिन्होंने किसी अन्य के लिये बीच कार्यकाल में अपनी सीट खाली की
थी या फिर लोकसभा चुनाव जीतने पर विधानसभा की सदस्यता से इस्ताफा दिया था।
इस कानून के तहत अब ऐसे पूर्व विधायक प्रति माह पन्द्रह हजार रुपये पेंशन
लेने के लिये विस सचिवालय को आवेदन कर सकेंगे। ऐसे पूर्व विधायकों को पेशन
देने पर राज्य सरकार के खजाने पर 15 लाख 60 हजार रुपये का अतिरिक्त वित्तीय
भार पड़ेगा। इस वित्तीय भार का भी इस संशोधित कानून में वित्तीय ज्ञापन के
माध्यम से प्रावधान है।
दरअसल पहले कानून में प्रावधान था कि
उन जनप्रतिनिधियों को ही विस से पेंशन प्राप्त करने का हक होगा जिन्होंने
पांच वर्ष तक की कालावधि हेतु विधानसभा के सदस्य के रुप में कार्य किया हो।
लेकिन अब नये संशोधन के अनुसार उन सभी जनप्रतिनिधियों को पेंशन पाने का हक
मिल गया हो जिन्होंने किसी भी कालावधि के लिये विधानसभा सदस्य के रुप में
कार्य किया हो।
खत्म हुआ निर्यात कर :
प्रदेश
से अब 14 नगर निगमों एवं 97 नगर पालिकाओं से निर्यात कर खत्म हो गया है। यह
स्थिति बनी है मप्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित मप्र नगरपालिका
विधि संशोधन विधेयक,2012 को राज्यपाल रामनरेश यादव द्वारा स्वीकृति देने
से। नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर द्वारा इस विधेयक को 6 दिसम्बर,2012
को विस में पेश किया गया था और यह 10 दिसम्बर,2012 को चर्चा के बाद पारित
हुआ था। इस संशोधन कानून के तहत नगर निगमों का प्रशासन देखने वाले मप्र
नगरपालिक निगम,1956 तथा नगर पालिकाओं का प्रशासन देखने वाले मप्र नगरपालिका
अधिनियम,1961 में संशोधन हो गया है। इन दोनों प्रशासनिक कानूनों के तहत
नगरीय निकाय की सीमा से बाहर जाने वाले माल या पशुओं पर सीमा-कर लगता था।
इससे उद्योगों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा था। राज्य में औद्योगिक क्षेत्र के
लिये प्रेरक वातावरण सृजित करने की दृष्टि से नगरीय निकायों की सीमा से
बाहर निर्यात होने वाले माल और पशुओं पर से सीमा-कर विधिवत समाप्त हो गया
है।
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