भारत में इंडियन मुजाहिद्दीन अत्यंत घातकः अमेरिका
भारत में इंडियन मुजाहिद्दीन अत्यंत घातकः अमेरिका
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इंडियन मुजाहिद्दीन भारत स्थित पहला आतंकी संगठन है जिसे उनके देश ने विदेशी आतंकी संगठन करार दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि यह भारत में अत्यंत घातक आतंकी संगठन है। भारत की सीमा के भीतर उसके सदस्यों ने निर्दोष नागरिकों पर कई हमले किए हैं। अभी हालांकि पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन ऐसा संदेह है कि हाल ही में 13 जुलाई को मुंबई में हुए बम विस्फोट के लिए वे जिम्मेदार हैं।
इंडियन मुजाहिद्दीन पर अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का प्रतिबंध दुनिया को साफ संदेश भेजता है कि अमेरिका इसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन मानता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत साथ मिलकर काम काम करना जारी रखेंगे।
एक सवाल के जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि निःसंदेह इन हमलों को भारत ने ही झेला है। भारत के साथ हमारी ठोस सामरिक वार्ता है। वे हमारे करीबी सहयोगी और साझीदार हैं। उनमें से एक तत्व आतंकरोधी सहायता है।
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इंडियन मुजाहिदीन भारत स्थित पहला आतंकी संगठन है जिसे विदेश मंत्रालय ने विदेशी आतंकी संगठन करार दिया है। दो अन्य अलगाववादी संगठन- बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख युथ फाउंडेशन को कार्यकारी आदेश संख्या 13224 के तहत जून 2002 में प्रतिबंध लगाया गया था।
आतंकियों के लिए अमेरिका में दो तरह के नाम हैं। कार्यकारी आदेश संख्या 13224 के तहत आतंकी संगठनों, आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे व्यक्तियों, वित्त प्रदाता और फ्रंट कंपनी सहित विभिन्न समूहों को विशेष निर्दिष्ट वैश्विक आतंकियों करार दिया जाता है।
अधिकारी ने कहा, इसका परिणाम यह हुआ कि इंडियन मुजाहिदीन को खुले तौर पर संसाधन और अन्य भौतिक सहायता या अन्य किसी तरह के लेनदेन पर प्रतिबंध है और अमेरिका, अमेरिका के दायरे में आने वाले और अमेरिकी व्यक्तियों के नियंत्रण में संगठन की सभी संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा।
विदेशी आतंकी संगठन के तहत, अमेरिका या उसके न्याय क्षेत्र के अधीन आने वाले किसी व्यक्ति के लिए इन संगठनों को भौतिक सहायता या संसाधन उपलब्ध कराना गैर-कानूनी है। विदेशी आतंकी संगठन के प्रतिनिधि और सदस्य अगर विदेशी हैं तो उनका प्रवेश वर्जित है और कुछ परिस्थितियों में उन्हें अमेरिका से हटाया जा सकता है।
अगर किसी अमेरिकी वित्तीय संस्था को पता चलता है कि उनके नियंत्रण में एफटीओ का कोई धन है तो इस धन की सूचना उन्हें अमेरिकी वित्त मंत्रालय के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय को देनी होती है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि यह भारत में अत्यंत घातक आतंकी संगठन है। भारत की सीमा के भीतर उसके सदस्यों ने निर्दोष नागरिकों पर कई हमले किए हैं। अभी हालांकि पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन ऐसा संदेह है कि हाल ही में 13 जुलाई को मुंबई में हुए बम विस्फोट के लिए वे जिम्मेदार हैं।

इंडियन मुजाहिद्दीन पर अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का प्रतिबंध दुनिया को साफ संदेश भेजता है कि अमेरिका इसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन मानता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत साथ मिलकर काम काम करना जारी रखेंगे।
एक सवाल के जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि निःसंदेह इन हमलों को भारत ने ही झेला है। भारत के साथ हमारी ठोस सामरिक वार्ता है। वे हमारे करीबी सहयोगी और साझीदार हैं। उनमें से एक तत्व आतंकरोधी सहायता है।
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इंडियन मुजाहिदीन भारत स्थित पहला आतंकी संगठन है जिसे विदेश मंत्रालय ने विदेशी आतंकी संगठन करार दिया है। दो अन्य अलगाववादी संगठन- बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख युथ फाउंडेशन को कार्यकारी आदेश संख्या 13224 के तहत जून 2002 में प्रतिबंध लगाया गया था।
आतंकियों के लिए अमेरिका में दो तरह के नाम हैं। कार्यकारी आदेश संख्या 13224 के तहत आतंकी संगठनों, आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे व्यक्तियों, वित्त प्रदाता और फ्रंट कंपनी सहित विभिन्न समूहों को विशेष निर्दिष्ट वैश्विक आतंकियों करार दिया जाता है।
अधिकारी ने कहा, इसका परिणाम यह हुआ कि इंडियन मुजाहिदीन को खुले तौर पर संसाधन और अन्य भौतिक सहायता या अन्य किसी तरह के लेनदेन पर प्रतिबंध है और अमेरिका, अमेरिका के दायरे में आने वाले और अमेरिकी व्यक्तियों के नियंत्रण में संगठन की सभी संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा।
विदेशी आतंकी संगठन के तहत, अमेरिका या उसके न्याय क्षेत्र के अधीन आने वाले किसी व्यक्ति के लिए इन संगठनों को भौतिक सहायता या संसाधन उपलब्ध कराना गैर-कानूनी है। विदेशी आतंकी संगठन के प्रतिनिधि और सदस्य अगर विदेशी हैं तो उनका प्रवेश वर्जित है और कुछ परिस्थितियों में उन्हें अमेरिका से हटाया जा सकता है।
अगर किसी अमेरिकी वित्तीय संस्था को पता चलता है कि उनके नियंत्रण में एफटीओ का कोई धन है तो इस धन की सूचना उन्हें अमेरिकी वित्त मंत्रालय के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय को देनी होती है।
Comments
Post a Comment