saraswati vandana par rok...
केन्द्रीय विद्यालयों में सरस्वती वंदना पर रोक क्यों ?
ऐसा लगता है कि देश में सेकुलरवाद के नाम पर हिन्दू आस्थाओं पर कुठाराघात करने का चलन सा हो गया है यह भी कहा जा सकता है कि आज हिन्दू भावनाओं से खिलवाड़ ही सेकुलरवाद की परिभाषा बन गई है इसलिए देश के तथाकथित सेकुलरवादी हिन्दू भावनाओं पर चोट करने का कोई न कोई मौका ढूंढ ही लेते हैं, ताकि खांटी सेकुलरवादी होने का तमगा उन्हें मिल सके इस बार सेकुलरवाद की भेंट अजमेर (राजस्थान) के दो केन्द्रीय विद्यालय चढ़े । इन विद्यालयों में होने वाली सरस्वती वंदना पर घृणित सेकुलरवादी सोच के चलते रोक लगा दी गई है । 
अजमेर में केन्द्रीय विद्यालय संगठन के विद्यालयों-केन्द्रीय विद्यालय-1 और 2 में अब वार्षिकोत्सव तथा अन्य कार्यक्रमों में होने वाली सरस्वती वंदना नहीं होगी । सरस्वती वंदना पर रोक का यह निर्णय अजमेर में सक्रिय रेशनलिस्ट सोसायटी की आपत्ति के बाद लिया गया निर्णय के बाद विद्यालयों ने अपनी वेबसाइट से मां सरस्वती का चित्र भी हटा लिया है । सरस्वती वंदना पर रोक के इस प्रसंग के बाद अभी देखना यह बाकी है कि इन विद्यालयों की तरह देशभर के सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में सरस्वती वंदना पर रोक लगाने का यह कुत्सित प्रयास सफल होता है या नहीं ?
अजमेर की इस घटना से एक बात तो साफ है कि इस देश में सेकुलरवाद के नाम पर हिन्दुओं की भावनाओं को ही आहत किया जाता है किसी अन्य मत-पंथ (मुस्लिम, ईसाई आदि) की भावनाओं को आहत करने का साहस इन तथाकथित सेकुलरवादियों में नहीं है क्योंकि इन्हें पता है कि अगर इन्होंने किसी अन्य मत-पंथ के लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाई तो वे इनकी ईंट से ईंट बजा देंगे । अब प्रश्न उठता है कि आखिर कब तक हिन्दू भावनाओं से खिलवाड़ होता रहेगा ? इसका एक ही जवाब है कि जब तक हिन्दू समाज ऐसे कृत्यों का विरोध नहीं करेगा तब तक यह सिलसिला इसी तरह जारी रहेगा ।

अजमेर में केन्द्रीय विद्यालय संगठन के विद्यालयों-केन्द्रीय विद्यालय-1 और 2 में अब वार्षिकोत्सव तथा अन्य कार्यक्रमों में होने वाली सरस्वती वंदना नहीं होगी । सरस्वती वंदना पर रोक का यह निर्णय अजमेर में सक्रिय रेशनलिस्ट सोसायटी की आपत्ति के बाद लिया गया निर्णय के बाद विद्यालयों ने अपनी वेबसाइट से मां सरस्वती का चित्र भी हटा लिया है । सरस्वती वंदना पर रोक के इस प्रसंग के बाद अभी देखना यह बाकी है कि इन विद्यालयों की तरह देशभर के सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में सरस्वती वंदना पर रोक लगाने का यह कुत्सित प्रयास सफल होता है या नहीं ?
अजमेर की इस घटना से एक बात तो साफ है कि इस देश में सेकुलरवाद के नाम पर हिन्दुओं की भावनाओं को ही आहत किया जाता है किसी अन्य मत-पंथ (मुस्लिम, ईसाई आदि) की भावनाओं को आहत करने का साहस इन तथाकथित सेकुलरवादियों में नहीं है क्योंकि इन्हें पता है कि अगर इन्होंने किसी अन्य मत-पंथ के लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाई तो वे इनकी ईंट से ईंट बजा देंगे । अब प्रश्न उठता है कि आखिर कब तक हिन्दू भावनाओं से खिलवाड़ होता रहेगा ? इसका एक ही जवाब है कि जब तक हिन्दू समाज ऐसे कृत्यों का विरोध नहीं करेगा तब तक यह सिलसिला इसी तरह जारी रहेगा ।
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