kayoi ram aate nahi
क्यों राम आते नहीं …….
हो रहा आचरण का निरंतर पतन, राम जाने कि क्यों राम आते नहीं
है जहां भी कहीं है दुखी साधुजन देके उनको शरण क्यों बचाते नहीं

उजड़ी केशन की क्यारी है बारूद से, रावी सतलज का जल खून से लाल है
धर्म के नाम नाहक ही फैला जुनूं, हर समझदार उलझन में बेहाल है
सारे कश्मीर में, उधर आसाम में, चल रही गोलियां और लगी आग है
करा रही आसुरी शक्ति विध्वंस यों, खून से गांव कोई न बेदाग है
खाने को दौड़ता सा है वातावरण, राम जाने कि क्यों राम आते नहीं
रोज होते रहे जहाँ पूजन भजन आज खण्डहर पड़े हैं कई वे भवनहै जहां भी कहीं है दुखी साधुजन देके उनको शरण क्यों बचाते नहीं

उजड़ी केशन की क्यारी है बारूद से, रावी सतलज का जल खून से लाल है
धर्म के नाम नाहक ही फैला जुनूं, हर समझदार उलझन में बेहाल है
सारे कश्मीर में, उधर आसाम में, चल रही गोलियां और लगी आग है
करा रही आसुरी शक्ति विध्वंस यों, खून से गांव कोई न बेदाग है
खाने को दौड़ता सा है वातावरण, राम जाने कि क्यों राम आते नहीं
यज्ञ करते रहे लोग जो देश हित, अब वही सैकड़ों हो रहे हैं हवन
छाया आतंक की बढ़ रही हर तरफ, घिर रहा है घरों में अंधेरा घना
लोग गुमसुम डरें सकपकाये से हैं, हर एक चेहरा नजर आता है अनमना
बढ़ रहा कर और ‘‘ दूषण का नित अतिक्रमण, राम जाने कि क्यों राम आते नहीं
बढ़ती जाती कलह हर जगह बेवजह, नेह सद्भाव पड़ते दिखाई नहीं
एकता, प्रेम, विश्वास हैं अधमरें, आदमियत आदमी से गुम हुई है कहीं
स्वार्थ, सिंहासनों पर अब आसीन हैं, कोई समझता नहीं है किसी की व्यथा
मिट गई रेखा लक्ष्मण ने खींची थी जो, महिमा मंडित है अपराधियों की कथा
हैं खुले आम रावण का आवागमन, राम जाने कि क्यों राम आते नहीं
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