उद्योगों को मिली स्थाई पट्टे की जमीन अब कलेक्टर गाईड लाईन रेट पर वापस हो सकेगी...
डॉ नवीन जोशी
भोपाल।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से उद्योगपतियों को जमीनों की बंदरबांट के आरोप लगने के बाद शिवराज सरकार ने ऐसे उद्योगपतियों को यह छूट प्रदान की है कि वे उन्हें मिली स्थाई पट्टे की भूमि सरकार को वापस कर सकेंगे तथा वापस करने पर उनके द्वारा दी गई पट्टे की राशि यानी प्रीमीयम वापस कर दी जायेगी। इस वापसी पर कोई रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लगेगा। ऐसा उद्योगों द्वारा लम्बे समय तक उन्हें मिली भूमि पर कोई उद्योग न डालने पर किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि प्रीमीयम की यह गणना तत्समय प्रवर्तित कलेक्टर गाईड लाईन के आधार पर संगणित की जायेगी। जाहिर है, अब उद्योगपतियों को आवंटित भूमि का बढ़ी हुई दर पर भुगतान होगा और उन्हें घर बैठे लाभ होगा।
इस संबंध में राज्य सरकार ने राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन कर दिया है। यह नया प्रावधान कृषि भिन्न प्रयोजन यथा आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक, शैक्षणिक या अन्य प्रयोजन के लिये सीधे सरकार द्वारा आवंटित स्थाई पट्टे की भूमि पर लागू होगा। सरकारी उपक्रमों यथा हाऊसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण, औद्योगिक केंद्र विकास निगम आदि द्वारा दी गई स्थाई पट्टे की भूमि इस प्रावधान में शामिल नहीं हैं तथा इन निकायों से कहा गया है कि वे इस संबंध में स्वयं अपनी पृथक नीति बना साकते हैं।
नये प्रावधान के अनुसार, स्थाई पट्टे पर मिली ऐसी भूमि के प्रीमीयम की राशि में से पहले दस प्रतिशत राशि की कटौति की जायेगी तथा फिर हर साल के लिये दो प्रतिशत और राशि काटी जायेगी। मसलन यदि किसी भूमि को बिना उपयोग के पन्द्रह साल हो गये हैं तो उसकी प्रीमीयम में से दस प्लस तीस कुल चालीस प्रतिशत की राशि काटी जायेगी।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से उद्योगपतियों को जमीनों की बंदरबांट के आरोप लगने के बाद शिवराज सरकार ने ऐसे उद्योगपतियों को यह छूट प्रदान की है कि वे उन्हें मिली स्थाई पट्टे की भूमि सरकार को वापस कर सकेंगे तथा वापस करने पर उनके द्वारा दी गई पट्टे की राशि यानी प्रीमीयम वापस कर दी जायेगी। इस वापसी पर कोई रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लगेगा। ऐसा उद्योगों द्वारा लम्बे समय तक उन्हें मिली भूमि पर कोई उद्योग न डालने पर किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि प्रीमीयम की यह गणना तत्समय प्रवर्तित कलेक्टर गाईड लाईन के आधार पर संगणित की जायेगी। जाहिर है, अब उद्योगपतियों को आवंटित भूमि का बढ़ी हुई दर पर भुगतान होगा और उन्हें घर बैठे लाभ होगा।
इस संबंध में राज्य सरकार ने राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन कर दिया है। यह नया प्रावधान कृषि भिन्न प्रयोजन यथा आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक, शैक्षणिक या अन्य प्रयोजन के लिये सीधे सरकार द्वारा आवंटित स्थाई पट्टे की भूमि पर लागू होगा। सरकारी उपक्रमों यथा हाऊसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण, औद्योगिक केंद्र विकास निगम आदि द्वारा दी गई स्थाई पट्टे की भूमि इस प्रावधान में शामिल नहीं हैं तथा इन निकायों से कहा गया है कि वे इस संबंध में स्वयं अपनी पृथक नीति बना साकते हैं।
नये प्रावधान के अनुसार, स्थाई पट्टे पर मिली ऐसी भूमि के प्रीमीयम की राशि में से पहले दस प्रतिशत राशि की कटौति की जायेगी तथा फिर हर साल के लिये दो प्रतिशत और राशि काटी जायेगी। मसलन यदि किसी भूमि को बिना उपयोग के पन्द्रह साल हो गये हैं तो उसकी प्रीमीयम में से दस प्लस तीस कुल चालीस प्रतिशत की राशि काटी जायेगी।
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