अब न्यायालय फीस भी आनलाईन जमा हो सकेगी..
प्रदेश के न्यायालयों में लगने वाली कोर्ट फीस भी अब आनलाईन जमा हो सकेगी। इस संबंध में राज्य के विधि एवं विधाई कार्य विभाग ने मप्र उच्च न्यायालय की सहमति से नया प्रावधान कर दिया है।
नये प्रावधान के तहत यह न्यायालय फीस वाणिज्यिक कर विभाग के पंजीयन कार्यालय के तहत बने इलेक्ट्रानिक स्टांपिंग पध्दति ''संपदाÓÓ के माध्यम से ई-स्टाम्पिंग के द्वारा या वित्त विभाग तथा उच्च न्यायालय या जिला न्यायालय के एकीकृत साफ्टवेयर के माध्यम से साइबर कोषालय में जमा की जा सकेगी। अब न्यायालय फीस जमा करने का यह पूरा कार्य इलेक्ट्रानिक पध्दति से होगा।
विधि विभाग ने इस प्रावधान को अमल में लाने के लिये केंद्र सरकार के सौ साल से भी पुराने न्यायालय फीस अधिनियम 1870 की धारा 26 के तहत मिली शक्तियों को उपयोग किया है। साथ ही केंद्र सरकार के भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 एवं सूचना प्रौद्योगिक अधिनियम 2000 के तहत परिभाषित इलेक्ट्रानिक पध्दति को स्वीकार किये जाने का उपबंध किया है।
राप्रसे अफसरों को देना होगा आनलाईन सम्पत्ति विवरण
भोपाल।
राज्य प्रशासनिक सेवा के सभी 774 अधिकारियों को अब अपना वार्षिक सम्पत्ति विवरण आनलाईन भरना होगा। राज्य सरकार ने सम्पत्ति विवरण देने की मेनुअल व्यवस्था खत्म कर दी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी राप्रसे अफसरों से कहा है कि वे वर्ष 2016 का वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण 31 जनवरी 2017 तक आनलाईन ई-फाईलिंग के जरिये जमा करें।
अब आगे से भी राप्रसे के सम्पत्ति विवरण आनलाईन ही स्वीकार किये जायेंगे। आनलाईन विवरण देने के लिये भारत सरकार के एनआईसी ने एक विशिष्ट पोर्टल तैयार किया है। इसका यूआरएल एचटीटीपीएस:हैशएसपीएआरआरओडब्ल्यु-एसएएसएमपी डाट ईओएफएफआईसीई डाट जीओवी डाट इन है। दरअसल यह पोर्टल वही है जिसके माध्यम से राप्रसे के अधिकारी अपनी वार्षिक गोपनीय चरित्रावली आनलाईन भेजते हैं।
इसी प्रकार, उक्त पोर्टल पर राप्रसे अधिकारी अपना सम्पत्ति विवरण निर्धारित प्रपत्र को भरकर जमा कर सकेंगे या निर्धारित प्रपत्र को मेनुअली भरकर और उस पर हस्ताक्षर कर उसे स्कैन कर पीडीएफ फाईल के रुप में अपलोड कर सकते हैं। आनलाईन प्रपत्र भरने पर उन्हें डिजिटल सिग्नेचर करने होंगे।
सामान्य प्रशासन विभाग ने स्पष्ट किया है कि आनलाईन सम्पत्ति विवरण देने का यह अर्थ नहीं होगा कि उसे शासन ने स्वीकार कर लिया है। ऐसे आनलाईन विवरण का विधिवत परीक्षण होगा।
नये प्रावधान के तहत यह न्यायालय फीस वाणिज्यिक कर विभाग के पंजीयन कार्यालय के तहत बने इलेक्ट्रानिक स्टांपिंग पध्दति ''संपदाÓÓ के माध्यम से ई-स्टाम्पिंग के द्वारा या वित्त विभाग तथा उच्च न्यायालय या जिला न्यायालय के एकीकृत साफ्टवेयर के माध्यम से साइबर कोषालय में जमा की जा सकेगी। अब न्यायालय फीस जमा करने का यह पूरा कार्य इलेक्ट्रानिक पध्दति से होगा।
विधि विभाग ने इस प्रावधान को अमल में लाने के लिये केंद्र सरकार के सौ साल से भी पुराने न्यायालय फीस अधिनियम 1870 की धारा 26 के तहत मिली शक्तियों को उपयोग किया है। साथ ही केंद्र सरकार के भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 एवं सूचना प्रौद्योगिक अधिनियम 2000 के तहत परिभाषित इलेक्ट्रानिक पध्दति को स्वीकार किये जाने का उपबंध किया है।
राप्रसे अफसरों को देना होगा आनलाईन सम्पत्ति विवरण
भोपाल।
राज्य प्रशासनिक सेवा के सभी 774 अधिकारियों को अब अपना वार्षिक सम्पत्ति विवरण आनलाईन भरना होगा। राज्य सरकार ने सम्पत्ति विवरण देने की मेनुअल व्यवस्था खत्म कर दी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी राप्रसे अफसरों से कहा है कि वे वर्ष 2016 का वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण 31 जनवरी 2017 तक आनलाईन ई-फाईलिंग के जरिये जमा करें।
अब आगे से भी राप्रसे के सम्पत्ति विवरण आनलाईन ही स्वीकार किये जायेंगे। आनलाईन विवरण देने के लिये भारत सरकार के एनआईसी ने एक विशिष्ट पोर्टल तैयार किया है। इसका यूआरएल एचटीटीपीएस:हैशएसपीएआरआरओडब्ल्यु-एसएएसएमपी डाट ईओएफएफआईसीई डाट जीओवी डाट इन है। दरअसल यह पोर्टल वही है जिसके माध्यम से राप्रसे के अधिकारी अपनी वार्षिक गोपनीय चरित्रावली आनलाईन भेजते हैं।
इसी प्रकार, उक्त पोर्टल पर राप्रसे अधिकारी अपना सम्पत्ति विवरण निर्धारित प्रपत्र को भरकर जमा कर सकेंगे या निर्धारित प्रपत्र को मेनुअली भरकर और उस पर हस्ताक्षर कर उसे स्कैन कर पीडीएफ फाईल के रुप में अपलोड कर सकते हैं। आनलाईन प्रपत्र भरने पर उन्हें डिजिटल सिग्नेचर करने होंगे।
सामान्य प्रशासन विभाग ने स्पष्ट किया है कि आनलाईन सम्पत्ति विवरण देने का यह अर्थ नहीं होगा कि उसे शासन ने स्वीकार कर लिया है। ऐसे आनलाईन विवरण का विधिवत परीक्षण होगा।
डॉ नवीन जोशी
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