प्रदेश के बजट की 74 मदों में हुई कटौति
डॉ नवीन जोशी
भोपाल।
प्रदेश में सूखे की भीषण स्थिति देख शिवराज सरकार ने इस साल के आम बजट की 74 मदों की बजट राशि में भारी कटौति कर दी है। चार मदें तो ऐसी हैं जिनमें अब कोई राशि व्यय नहीं होगी। इस संबंध में वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव ने सभी विभागों को सूचना भेज दी है।
सूचना में साफ तौर पर कहा गया है कि इस वर्ष प्रदेश के एक बड़े भू-भाग में मानसून कमजोर रहने के कारण खरीफ फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इससे प्रभावित किसानों को राहत देने के लिये अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की तत्काल आवश्यक्ता निर्मित हुई है।
वित्त विभाग के ताजा फैसले के तहत अब इस साल आम बजट की चार मदों में प्रावधानित बजट राशि बिल्कुल व्यय नहीं की जायेगी। इनमें स्कूल शिक्षा विभाग के अंतगर्त माडल स्कूलों की स्थापना एवं संचालन पर प्रावधानित राशि दो सौ करोड़ रुपये,पंचायत विभाग के अंतर्गत तीन मदों में प्रावधानित नक्सल प्रभावित क्षेत्र से संबंधित विशेष अधोसंरचना योजना हेतु राशि सौ करोड़ रुपये, राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान हेतु 162 करोड़ 57 लाख 75 हजार रुपये तथा बेकवर्ड रीजन ग्रांट फण्ड योजना हेतु 647 करोड़ 20 लाख रुपये शामिल है।
आम बजट में की गई कटौति के तहत अब इस साल बड़े शहरों एवं संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा पर 144 करोड़ रुपये के स्थान पर 50 करोड़ रुपये, राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल की स्थापना पर सौ करोड़ 43 लाख 41 हजार रुपये के स्थान पर 5 करोड़ रुपये, बड़े शहरों में यातायात प्रबंधन पर 137 करोड़ 67 लाख 99 हजार रुपये के स्थान पर 60 करोड़ रुपये, न्याय प्रशासन पर सौ करोड़ रुपये के स्थान पर 15 करोड़ 11 लाख 63 हजार रुपये एवं बरगी नहर डायवर्सन योजना में दो सौ करोड़ 86 लाख 66 हजार रुपये के स्थान पर 139 करोड़ 96 लाख 46 हजार रुपये व्यय होंगे। ऐसा ही कटौति अन्य मदों में की गई है।
वित्त विभाग ने आयुक्त ट्रेजरी को निर्देशित किया है कि वह इस साल के आम बजट की 74 मदों में की गई कटौति को दर्ज करें।
सिंहस्थ में मीट विक्रय रोकने की मांग उठी
भोपाल। देशभर में चल रहे मीट विक्रय के विवादों के बीच अब प्रदेश के उज्जैन शहर में अगले वर्ष होने वाले सिंहस्थ के दौरान भी पूरे दो माह तक मीट के विक्रय पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठने लगी है। इसकी शुरुआत उज्जैन के मुनिप्रवर श्री ऋषभचन्द्र विजयजी चातुर्मास ने की है। उन्होंने शिवराज सरकार को एक पत्र लिखकर यह मांग उठाई है।
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