अब नगर निगम वसूल सकेंगे शासकीय भवनों से उपभोक्ता प्रभार


भोपाल।
अब प्रदेश के नगर निगम अपने क्षेत्राधिकार में स्थित शासकीय भवनों, राजनैतिक दलों के कार्यालयों एवं शिक्षण संस्थाओं से उपभोक्ता प्रभार वसूल सकेंगे। यह उपभोक्ता प्रभार सम्पत्ति कर का करीब बीस प्रतिशत होता है। इससे नगरीय निकायों की आय में इजाफा होगा और उनकी माली हालत भी सुधरेगी। इससे पहले सिर्फ निजी भवन एवं भूमि मालिकों पर ही सम्पत्ति-कर एवं उपभोक्ता प्रभार लगता था।
इस संबंध में राज्य शासन के नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग ने आदेश जारी कर दिये हैं। दरअसल उच्च न्यायालय ने भी उपभोक्ता प्रभार एवं समेकित कर वसूलने को जायज ठहराया है। सभी विभागों के प्रमुखों एवं  संभागायुक्तों को जारी आदेश में राज्य शासन ने कहा है कि 'नगरपालिका निगम अधिनियम 1956 की धारा 132 क-दो-एकÓ के अंतर्गत उन भवनों और भूमियों पर जिन्हें सम्पत्तिकर से छूट प्राप्त है, उन पर  निगम शासन द्वारा अधिसूचित की गई दरों को उपभोक्ता प्रभार के रुप में अधिरोपित कर सकेंगे। उक्त नियम के अंतर्गत निगम उपभोक्ता प्रभार का अधिरोपण कर सकता है। 
आदेश में आगे कहा गया है कि नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत स्थित समस्त भवनों की सम्पत्तियों पर सेवा प्रभार लागू है और यह नगरीय निकाय का अधिकार है। अत: निगम द्वारा निर्धारित उपभोक्ता प्रभार का भुगतान कराया जाना सुनिश्चित किया जाये।
वन मंत्री ने लगाया जैक
भोपाल। पिछले दिनों राजधानी परियोजना प्रशासन भोपाल में पदस्थ मुख्य वन संरक्षक सुदीप सिंह को स्थानांतरित कर दिया गया। यह तबादला मुख्यमंत्री स्तर पर हुआ जिस पर वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार बिफर गये। अब शेजवार ने इस चहेते अफसर के लिये जैक लगाया है तथा इस अफसर का तबादला निरस्त करने की लिखित मांग कर दी है। सीएम ने इस मामले को मुख्य सचिव अंथोनी डिसा के पास निराकरण के लिये भेज दिया है। फिलहाल वन मंत्री का जैक अभी काम नहीं आया है।
डॉ नवीन जोशी

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