विरोध को दबाने की सरकारी मुहिम....
विरोध को दबाने की सरकारी मुहिम
देश में सत्ताधारी लोग और सरकार नागरिक समाज के लोगों, सरकारी अधिकारियों और विरोधी दल के कार्यकर्ताओं को डरा-धमका रहे हैं। तथा उनके खिलाफ झूठे मुकद्दमें कायम करने में मसगूल हैं और ये काम बड़े ही सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। वैसे तो विरोधियों को ठिकाने लगाने का सत्ताधारियों का काफी पुराना रिकार्ड रहा है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से खुलेआम और बड़े ही बेशर्म तरीके से सत्ताधारी अपनें विरोधियों को कुचलने पर आमादा हैं। इतना ही नहीं जब कोई सामाजिक कार्यकर्ता या समाजसेवी एक पार्टी के विरुद्ध बोलता है तो वह पार्टी तत्काल उक्त समाजसेवी को विरोधी पार्टी के एजेंट के रूप में प्रचारित करने लगती हैं. मोटे तौर पर यह दिखाई दे रहा है कि देश में जितनी पार्टियों की सरकारें सत्ता पर काबिज हैं लगभग सभी सरकारें अपनें विरोधियों के दमनचक्र को पुरजोर तरीके से चला रहीं हैं।
इनके इस रवैये से देश में लोकतंत्र को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इस दमनचक्र के ताजा शिकार जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रहमण्यम स्वामी, अन्ना हजारे और बाबा रामदेव शामिल हैं। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रहमण्यम स्वामी के खिलाफ मामला दर्ज किया है यह मामला दिल्ली स्थित नेहरु प्लेस के क्राईम ब्रांच नें दर्ज किया है। बताया या जा रहा है कि बीते जुलाई महीनें में सुब्रहमण्यम स्वामी नें एक अखबार में मुसलमानों के संबंध में एक लेख लिखा था। जिसके कारण समुदाय विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंची थी। इसी मामले को लेकर अगस्त महीने में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा पटियाला हाउस कोर्ट में असगर खान नामक एक वकील द्वारा दर्ज कराई गई थी। पुलिस के मुताबिक उसी शिकायत के आधार पर सेक्शन १५३-अ, १५३-ब, और २९५-अ आदि धाराओं में मुकद्दमा दर्ज कराया गया है पुलिस के अनुसार पुलिस नें सीधे इस शिकायत को दर्ज नहीं की है। अगर आपको पता होगा तो बता दें कि १ लाख ७६ हजार करोड का २जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले को सुब्रहमण्यम स्वामी द्वारा ही अदालत में ले जाया गया है। जिसके कारण घोटाले में तमाम लोगों के संलग्न होने के प्रमाण सामने आते जा रहे है २जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ए. राजा, कनिमोझी, सिद्धार्थ बेहरा, गौतम दोषी, करीम मोरानी, शाहिद बलवा, राजीव अग्रवाल, आदि जेल की हवा खा रहे है इस घोटाले को लेकर कहा जाता है कि डीएमके के दयानिधि मारन पर भी तलवार लटक रही है। तथा इस मामले की आंच से कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम भी नहीं बच पाए हैं इतना ही नहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला में उनका अगला खुलासा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को लेकर हैं। स्वामी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले में पहले पूर्व टेलिकॉम मंत्री ए. राजा, डीएमके सांसद एम.के. कनिमोड़ी, पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन और गृह मंत्री पी. चिदंबरम की भूमिकाओं का खुलासा कराने के बाद अब उनका अगला खुलासा रॉबर्ट वाड्रा को लेकर है। संभवतः सुब्रहमण्यम स्वामी की सत्ताधारियों के विरुद्ध इसी सक्रियता के कारण इनके ऊपर एफआईआर दर्ज किया गया लगता है।
मौजूदा सरकार जो कि अपने विरोधियों को सिर्फ कानून के दुरूपयोग और हिंसा से कुचलने पर आमादा हैं उन्हें रोकने के उपाय करने होंगे। अगर समय रहते ऐसा नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे पड़ोसी देशों की तरह हमारा भी नाम भी लोकतान्त्रिक स्तर पर (फेल) नाकाम राष्ट्रों में सुमार कर दिया जाएगा। नीतिगत विरोधियों के सम्मान की रक्षा भी सरकार का दायित्व है ये वही लोग हैं जो सरकार और शासन प्रशासन के जनविरोधी नीतियों का विरोध करते हुए उसमे व्यापक सुधार की मांग करते हैं। जो कि फौरी तौर पर भले ही सरकार और शासन प्रशासन के विरुद्ध दिखें लेकिन वस्तुतः वे दीर्घकालिक तौर पर सरकारों को अलोकप्रिय होने से बचाते हैं और उन्हें जन विरोधी फैसले लेने से रोककर आगामी चुनाओं में जनता को चेहरा दिखाने लायक बना देते हैं। किन्तु यही सरकार दुर्भावनावश वस उन्हें प्रताडि़त करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने नहीं देती। अगर ये सभी विसलव्लोवर अपने-अपने कामों का बहिष्कार कर दें तो समाज की गति थम जाएगी। और यह देश निरंकुशता के भंवर में फंस जायेगा। यह माना कि अपने विरोधियों के दमन की मानसिकता जो कि सदियों से सत्ताधारियों के दिमाग में अपनी विक्षिप्तता के साथ घर कर गई हैं को एक झटके में हटा पाना आसान नहीं है, परतु यह काम असंभव भी नहीं है।
इनके इस रवैये से देश में लोकतंत्र को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इस दमनचक्र के ताजा शिकार जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रहमण्यम स्वामी, अन्ना हजारे और बाबा रामदेव शामिल हैं। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रहमण्यम स्वामी के खिलाफ मामला दर्ज किया है यह मामला दिल्ली स्थित नेहरु प्लेस के क्राईम ब्रांच नें दर्ज किया है। बताया या जा रहा है कि बीते जुलाई महीनें में सुब्रहमण्यम स्वामी नें एक अखबार में मुसलमानों के संबंध में एक लेख लिखा था। जिसके कारण समुदाय विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंची थी। इसी मामले को लेकर अगस्त महीने में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा पटियाला हाउस कोर्ट में असगर खान नामक एक वकील द्वारा दर्ज कराई गई थी। पुलिस के मुताबिक उसी शिकायत के आधार पर सेक्शन १५३-अ, १५३-ब, और २९५-अ आदि धाराओं में मुकद्दमा दर्ज कराया गया है पुलिस के अनुसार पुलिस नें सीधे इस शिकायत को दर्ज नहीं की है। अगर आपको पता होगा तो बता दें कि १ लाख ७६ हजार करोड का २जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले को सुब्रहमण्यम स्वामी द्वारा ही अदालत में ले जाया गया है। जिसके कारण घोटाले में तमाम लोगों के संलग्न होने के प्रमाण सामने आते जा रहे है २जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ए. राजा, कनिमोझी, सिद्धार्थ बेहरा, गौतम दोषी, करीम मोरानी, शाहिद बलवा, राजीव अग्रवाल, आदि जेल की हवा खा रहे है इस घोटाले को लेकर कहा जाता है कि डीएमके के दयानिधि मारन पर भी तलवार लटक रही है। तथा इस मामले की आंच से कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम भी नहीं बच पाए हैं इतना ही नहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला में उनका अगला खुलासा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को लेकर हैं। स्वामी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले में पहले पूर्व टेलिकॉम मंत्री ए. राजा, डीएमके सांसद एम.के. कनिमोड़ी, पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन और गृह मंत्री पी. चिदंबरम की भूमिकाओं का खुलासा कराने के बाद अब उनका अगला खुलासा रॉबर्ट वाड्रा को लेकर है। संभवतः सुब्रहमण्यम स्वामी की सत्ताधारियों के विरुद्ध इसी सक्रियता के कारण इनके ऊपर एफआईआर दर्ज किया गया लगता है।
मौजूदा सरकार जो कि अपने विरोधियों को सिर्फ कानून के दुरूपयोग और हिंसा से कुचलने पर आमादा हैं उन्हें रोकने के उपाय करने होंगे। अगर समय रहते ऐसा नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे पड़ोसी देशों की तरह हमारा भी नाम भी लोकतान्त्रिक स्तर पर (फेल) नाकाम राष्ट्रों में सुमार कर दिया जाएगा। नीतिगत विरोधियों के सम्मान की रक्षा भी सरकार का दायित्व है ये वही लोग हैं जो सरकार और शासन प्रशासन के जनविरोधी नीतियों का विरोध करते हुए उसमे व्यापक सुधार की मांग करते हैं। जो कि फौरी तौर पर भले ही सरकार और शासन प्रशासन के विरुद्ध दिखें लेकिन वस्तुतः वे दीर्घकालिक तौर पर सरकारों को अलोकप्रिय होने से बचाते हैं और उन्हें जन विरोधी फैसले लेने से रोककर आगामी चुनाओं में जनता को चेहरा दिखाने लायक बना देते हैं। किन्तु यही सरकार दुर्भावनावश वस उन्हें प्रताडि़त करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने नहीं देती। अगर ये सभी विसलव्लोवर अपने-अपने कामों का बहिष्कार कर दें तो समाज की गति थम जाएगी। और यह देश निरंकुशता के भंवर में फंस जायेगा। यह माना कि अपने विरोधियों के दमन की मानसिकता जो कि सदियों से सत्ताधारियों के दिमाग में अपनी विक्षिप्तता के साथ घर कर गई हैं को एक झटके में हटा पाना आसान नहीं है, परतु यह काम असंभव भी नहीं है।
Comments
Post a Comment