छोटी मछलियां गिरफ्त में, बडे़ मगरमच्छ बच निकले


इंदौर का सायबर कमोडिटी घोटाला
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डाॅ. नवीन आनन्द जोशी
भोपाल/ राज्य की औद्योगिक राजधानी, इंदौर में वर्ष 2013 में हुए सायबर कमोडिटी घोटाले के बडे़ मगरमच्छ (आफिसर) बच निकले हैं जबकि छोटे अधिकारियों के विरूद्ध पुलिस महानिदेशक ने जांच प्रमाणित कर दी है। दरअसल समूचा मामला हाई प्रोफाइल है और इसमें अन्तर्राज्यीय गिरोह के लोग जुडे़ हुए हैं। 
सूत्रों के मुताबिक अपराध क्र. 498/13 में धारा-420, 409, 467, 120-बी, 34 भा.द.वि. 43-बी/65, 66-ए, आई.टी.एक्ट-21 की विवेचना में लापरवाही पाये जाने पर के.एस.बघेल निरीक्षक, सुनीता कटारा निरीक्षक,  सीताराम झा निरीक्षक, चरण सुमेर प्रधान आरक्षक, रितेश सिंह, कैलाश चैरसिया के विरूद्ध जांच उल्लेखित आरोप प्रमाणित पाये गये। अतः संयुक्त विभागीय जांच दिनांक 06.11.2015 को के.वी.शर्मा को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।
इनके अतिरिक्त सायबर सेल के आई.जी. अनिल कुमार गुप्ता, ए.डी.जी. अशोक दोहरे जैसे बडे़ अधिकारी समुचे मामले में कैसे बच गये हैं, जबकि इनके रहते ही यह अपराध पूरे देश में मध्य प्रदेश पुलिस की किरकिरी बना हुआ था। गौरतलब है कि आॅनलाईन कमोडिटी का यह अपराध इंदौर से लेकर मुम्बई, अहमदाबाद, बंगलौर, चेन्नई और देश के अधिकांश हिस्सों में सुर्खियों मे रहा है। इस पूरे प्रकरण में पुलिस की ढीली पकड़ और अपराधियों का बच निकलना बाद में अपराधियों के द्वारा पुलिस पर लूट का मुकदमा दर्ज कराना पुलिस का नीचा सिर करना भी शामिल है। इस संबंध में राज्य के पुलिस प्रमुख मौन है।

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