प्रदेश में लागू होगा भू-जल कानून
मप्र में हो रहे अंधाधुंध भू-जल के दोहन को रोकने के लिये नलकूपों के अनियंत्रित खनन को किसी कानूनी प्रक्रिया द्वारा नियंत्रित करने के लिये भू-जल सर्वेक्षण संरचना द्वारा भारत सरकार से प्राप्त मॉडल बिल 1996 के आधार पर मप्र के भू-जल अधिनियम का प्रारुप तैयार कर शासन को प्रस्तुत किया जा चुका है। इस भू-जल अधिनियम को लागू करने के लिये जल संसाधन विभाग द्वारा संबंधित विभागों से अभिमत देने के लिये लिखा गया है एवं कुछ विभागों से इस संबंध में अभिमत प्राप्त हो गये हैं। सभी विभागों से इस पर अभिमत प्राप्त होते ही भू-जल नियंत्रण एवं नियमन अधिनियम शासन द्वारा लागू करने की कार्यवाही की जायेगी।
उक्त जानकारी मप्र विधानसभा सचिवालय द्वारा इतिहास में पहली बार नवाचार करते हुये अपनी वेबसाईट पर विधायकों के लिये 18 पेजों में पेयजल पर जारी तथ्य पत्रक विशेष संदर्भ में दी गई है। इसमें बताया गया है कि प्रदेश में पेयजल के स्रोत सतही जल स्रोत के अंतर्गत वर्ष जल, नदियां, झीलें, तालाब, झरने, नहरें एवं जलाशय हैं जबकि भूमिगत जल स्रोत के अंतर्गत कुयें, नलकूप एवं बावडिय़ां हैं। पेयजल स्रोत में वर्तमान में कमी के सात कारण बताये गये हैं : प्रति व्यक्ति पानी की खपत में बढ़ौत्तरी, भू-जल में गिरावट, प्राकृतिक स्रोतों का जल प्रदूषित होना, परंपरागत जल स्रोतों में कमी आना, जलवायु में बदलाव की वजह से वर्ष जल में कमी आना, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई तथा मृदा अपरदन।
विधायकों के लिये पेयजल पर जारी तथ्य पत्रक विशेष संदर्भ में बताया गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा जल अभिषेक अभियान के अंतर्गत राज्य की तीन सूख चुकी नदियों को पुनर्जीवित किया गया है जिनमें खरगौन जिले की रामकेला नदी, रतलाम जिले की जामड़ नदी तथा पन्ना जिले की मिढ़ासन नदी शामिल है। इसके अलावा राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन जल अभिषेक अभियान के अंतर्गत 50 जिलों में एक-एक नदी का चयन किया गया है। इस योजना के तहत नौ जिलों में बड़े नालों को भी पुनर्जीवित किया जा रहा है जिनमें शामिल हैं : टीकमगढ़ जिले का पटेरिया, सतना जिले का आम्हा, मंदसौर जिले का करनाली, सीधी जिले का धुन्ना, होशंगाबाद जिले का बरगाह, सिंगरौली जिले का बरदिया, हरदा जिले का अरब, रीवा जिले का सेतुबंध तथा उज्जैन जिले का सिलारखेड़ी नाला।
विशेष संदर्भ में बताया गया है कि पेयजल और स्वच्छता के मामले में मप्र का देश में पांचवां स्थान है। पहला स्थान राजस्थान, दूसरा गुजरात, तीसरा तमिलनाडु तथा चौथा अरुणाचल प्रदेश का स्थान है। भारत सरकार द्वारा जारी नई मार्गदर्शिका के अनुसार बसाहटों में पेयजल प्रदाय का स्तर 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन नलजल योजनाओं के माध्यम से वर्ष 2022 तक के लिये निर्धारित किया गया है।
आवास भी जोडऩे का आग्रह
भोपाल। मप्र आदिवासी वित्त एवं विकास निगम के नवनियुक्त अध्यक्ष डा. शिवराज शाह ने पदभार सम्हालते ही नवीन पहल की है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे सबको आवास अभियान में आदिवासीजनों को भी जोडऩे के लिये उनके निगम के माध्यम से भी इस वर्ग के लिये आवास निर्माण योजना जोड़ी जाये। अब निगम का प्रशासकीय विभाग आदिमजाति कल्याण डिपार्टमेंट इस काम में नियमों का परीक्षण करने में जुट गया है।
डॉ नवीन जोशी
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