कोरोना काल में भी अफसरों ने कर डाली विदेश यात्राएं..?
कोरोना काल में भी अफसरों ने कर डाली विदेश यात्राएं..?
कोरोना काल में भी अफसरों ने कर डाली विदेश यात्राएं..?
महालेखाकार ने मांगी जानकारी
डॉ. नवीन जोशी
भोपाल। मध्य प्रदेश के बड़े अफसरों ने वर्ष 2019-20 कोरोना काल में भी खूब विदेश यात्राएं की। इन विदेश यात्राओं की जानकारी जुटाई जा रही है। भारत के महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के पूर्व मध्य प्रदेश सरकार से अपने अफसरान की वर्ष 2019-20 में हुई विदेश यात्राओं की विस्तृत जानकारी मांगी है। सामान्य प्रशासन विभाग जानकारी एकत्रित करने में जुट गया है, आगामी बजट सत्र में महालेखाकार की रिपोर्ट जब पटल पर रखी जाएगी उस वक्त हमारे ब्यूरोक्रेट्स की ये यात्राएं सार्वजनिक होंगी, जो उन्होंने कोरोना काल को चुनौती देते हुए की है।
भारत के महालेखाकर के ग्वालियर स्थित कार्यालय ने प्रदेश सरकार से सरकारी अफसरों द्वारा की गई विदेश यात्राओं के स्वीकृति आदेश मांगे हैं। उसने यह भी कहा है कि सरकारी कार्यालयों, निगमों, कंपनियों आदि में पहली बार किये गये निवेशों से संबंधित स्वीकृति आदेशों, अनुबंधों तथा अनुदानों के आहरण से संबंधित आदेशों की प्रतिलिपियां भी भेजी जायें।
महालेखाकार की इस मांग पर राज्य के वित्त विभाग ने सभी विभागों को जानकारी भेजने के लिये निर्देश जारी कर दिये हैं।ये गौरतलब है कि मार्च 2020 में जब कमलनाथ सरकार अल्पमत में आई,और बिदा हुई थी, उस वक्त जो अधिकारी जहां भी तैनात थे ,उन्हें भारी संख्या में स्थानांतरित किया गया और विभाग भी बदले गए। इस दौरान हुई प्रशासनिक सर्जरी से प्रभावित अधिकारियों ने अनलॉक होने के बाद जमकर विदेश यात्राएं की हैं।
कालेजों के अजाजजा विद्यार्थियों
को मिलेंगी नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकें
भोपाल।उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी यूजी एवं पीजी कालेजों के अध्ययनरत अजाजजा विद्यार्थियों को शैक्षणिक सत्र 2020-21 में नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकें वितरित करने की तैयारी प्रारंभ कर दी है। इन कालेजों के प्राचार्यों से शुक्रवार को कहा गया कि वे अजाजजा विद्यार्थियों की संख्या भेजें तथा उपलब्ध बजट की भी जानकारी प्रदान करें।
उल्लेखनीय है कि उक्त पुस्तकों का प्रकाशन हिन्दी ग्रन्थ अकादमी द्वारा किया गया है तथा इनका मूल्य बाजार दर से भी काफी कम है। इन पुस्तकों का प्रदाय भी अकादमी ही करेगी।
प्रदेश की वाटर बाडीज के चुनाव करानें की तैयारियां शुरु
700 नई बाडीज भी बनाई जायेंगी
भोपाल।राज्य सरकार ने अब जल संसाधन विभाग के अंतर्गत गठित वाटर बाडीज जिन्हें जल उपभोक्ता संथायें भी कहा जाता है, के चुनाव की तैारियां प्रारंभ कर दी हैं। ये वो बाडीज होती हैं जो निर्मित नहरों, जलाशयों से पानी खेतों तक पहुंचाती हैं और बदले में संबंधित बाडीज के क्षेत्र के किसानों से निर्धारित शुल्क भी वसूल करती हैं। इन बाडीज में किसान ही चुनाव लड़ते हैं और पानली का प्रबंधन एवं शुल्क की वसूली करते हैं।
प्रदेश में अभी 2064 बाडीज गठित हैं तथा नई परियोजनायें निर्मित होने से 700 और बाडीज का गठन किया जाना है। जल संसाधन विभाग के मैदानी अधिकारियों से कहा गया है कि वे इन नई बाडीज के गठन का प्रस्ताव भेजें।
गांव के नाम से बनेंगी बडीज :
नई बाडीज संबंधित क्षेत्र के किसी एक गांव के नाम से बनाई जायेंगी। प्रत्येक बाडी को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र में विभक्त किया जायेगा जो लघु सिंचाई प्रणाली के मामले में छह एवं मध्यम तथा वृहद सिंचाई प्रणाली के मामले में बारह होंगी। सामान्यत: दो हजार हैक्ैटेयर तक की सिंचाई प्रणाली में एक जल उपभोक्ता संथा बनाई जायेगी। प्रेशराईज्ड पाईप प्रणाली से सिंचाई की परियोजनाओं के अंतर्गत भी वाटर बाडीज बनाई जायेंगी।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि वाटर बाडीज के चुनाव कराये जाने हैं जिसके लिये नई बाटर बाडीज के गठन के निर्देश दिये गये हैं। प्रस्ताव आने पर इनका परीक्षण कर इन्हें नोटिफाई किया जायेगा। पहले विधानसभा, फिर लोकसभा तथा उसके बाद कोविड संक्रमण के कारण इन बाडीज के चुनाव नहीं हो सके थे।
स्थानीय निधि एवं शाला अनुदान से
स्कूली शौचालय साफ करने के निर्देश
भोपाल।लोक शिक्षण आयुक्त जयश्री कियावत ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि वे स्थानीय निधि एवं शाला अनुदान से शासकीय स्कूलों में निरन्तर जल प्रवाह सुविधा उपलब्ध कराने तथा नियमित साफ-सफाई करायें।
आयुक्त ने अपने निर्देश में 17 वीं लोकसभा की समिति की दूसरी रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि मप्र के शासकीय स्कूलों में शौचालयों की सफाई न होने तथा गंदे एवं अनुपयोगी शौचालयों के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। समिति द्वारा ऐसे स्कूलों में शौचालयों की सफाई एवं उनके प्रबंधन के लिये नियमित पानी की उपलब्ध्ता सुनिश्चित करने की सिफारिश की है। आयुक्त ने कहा है कि जिन जिलों के स्कूलों के शौचालयों में इस सुविधा का अभव है, उनमें इसकी व्यवस्था की जाये।
डॉ. नवीन जोशी
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