अब ताजमहल पुरातात्विक नहीं रहा.....



अब ताजमहल पुरातात्विक नहीं रहा
*पर्यटन निगम बनायेगा हैरिटेज होटल
भोपाल (नवीन जोशी),13/नवम्बर/2011(ITNN)>>> कम लोगों को मालूम होगा कि आगरा के बाद देश का दूसरा ऐतिहासिक ताजमहल भोपाल के मॉडल ग्राउण्ड शाहजहांनाबाद में स्थित है। अब यह ताजमहल पुरातात्विक नहीं रहा तथा मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम इसमें हैरिटेज होटल बनायेगा। यही नहीं अब इस ताजमहल के आसपास 300 मीटर व्यास क्षेत्र में निर्माण कार्य भी हो सकेंगे तथा नये प्रोजेक्ट निजी क्षेत्र लांच कर सकेगा। राज्य सरकार के संस्कृति विभाग ने म.प्र. प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम, 1964 के तहत डिनोटिफाई कर दिया। राज्य की भाजपा सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने 30 अप्रैल, 2005 को भोपाल के ताजमहल को उक्त अधिनियम के तहत राज्य संरक्षित घोषित कर दिया था जिससे इसके सौ मीटर व्यास क्षेत्र प्रतिषिध्द तथा उसके 200 मीटर व्यास क्षेत्र रेगुलेटरी हो गया था। इससे तीन सौ मीटर के क्षेत्र में कोई नया निर्माण कार्य नहीं हो सकता था।

संस्कृति विभाग ने अपनी ताजा अधिसूचना में कहा है कि भोपाल के ताजमहल को अधिक समय तक संरक्षित करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उक्त स्मारक को पर्यटन हैरिटेज होटल के रुप में विकसित किया जाना प्रक्रियाधीन है। अब पुरातत्व विभाग और पर्यटन निगमके बीच समझौता होगा जिसमें पुरातत्व विभाग 11वें और 12वें राष्ट्रीय वित्त आयोग से भोपाल के ताजमहल के रिनोवेशन हेतु मिली धनराशि की वापसी की  मांग करेगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि पर्यटन निगम के प्रबंध संचालक तथा पुरातत्व आयुक्त दोनों पदों पर आईएएस अधिकारी पंकज राग पदस्थ हैं तथा उनके प्रयासों से ही ताजमहल को डिनोटिफाई करने की कार्यवाही हुई है। 

संस्कृति विभाग ने इसी प्रकार सतना जिले के माधवगढ़ जिले जो कि 6 अप्रैल,1984 को नोटिफाई हुआ था, ताजा अधिसूचना में डिनोटिफाई कर दिया है तथा अब इसमें भी पर्यटन निगम हैरिटेज होटल बनायेगा

विवादों में रहा है ताजमहल :
भोपाल के ताजमहल का निर्माण भोपाल रियासत की 11वीं शासक शाहजहां बेगम ने 70 लाख रुपये की लागत से किया था। इसका निर्माण तेरह सालों यानी वर्ष 1871 से 1884 तक हो पाया था तथा इस भव्य निर्माण पर तीन साल तक जश-ए-ताजमहल उत्सव मनाया गया था। इसके पास ही एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद ताजुल मसाजिद है। ताजमहल का पहले नाम राजमहल यानी रायल हाऊस था परन्तु प्रिन्स वेल्स के आग्रह पर शाहजहां बेगम ने इसका नाम ताजमहल कर दिया था। ताजमहल कभी शाहजहां बेगम की समाधि नहीं रही, यह उनका आवासीय महल था। शाहजहां बेगम ने पहले भोपाल के प्रतिष्ठित व्यक्ति मोहम्मद खान से उनकी तीसरी बीवी के रुप में वर्ष 1855 में शादी की थी तथा वर्ष 1867 में खान के निधन के बाद वर्ष 1871 में यूनाईटेड प्रोविन्स बरेली के सादिक हसन खान से दूसरा विवाह किया था।

ताजमहल आठ एकड़ क्षेत्र में फैला है तथा इसमें कुल 120 कक्ष हैं जिसमें आठ बड़े-बड़े हाल हैं। राजस्थानी वास्तुशिल्प में बने इस महल में ब्रिटिश, फ्रेंच, मुगल तथा हिन्दू निर्माण कला का मिश्रण है। इसमें शीशमहल एवं सावन भादो पवेलियन भी बने हुये हैं। इस महल की खासियत यह है कि इसके अंदर बारह घोड़ों की बघ्घी जा सकती थी। आजादी के बाद ताजमहल में तत्कालीन नवाब हमीदुल्लाह खान ने सिन्धी  विस्थापितों को ठहराया था जो चार साल तक रहे और उसके बाद इसे सिन्धी विस्थापितों से खाली करा लिया गया और उन्हें भोपाल की इंदौर रोड पर बैरागढ़ में बसा दिया गया।

भोपाल के ताजमहल के 12500 वर्गफीट पर कॉँग्रेस नेता एवं वर्तमान में मप्र वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष गुफराने आजम की दिवंगत सास श्रीमती शीला हुक्कू का आधिपत्य था जिसे बेचने या उस पर व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स बनाने के लिये तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार की मंत्रिपरिषद ने अनुमति दे दी थी। ताजमहल परिसर में ही बाबेआली मैदान भी है जिस पर भोपाल डिविजन क्रिकेट एसोसियेशन क्रिकेट की गतिविधियां संचालित करता है। इस स्टेडियम के पवेलियन के कुछ हिस्से में शीला हुक्कू परिवार का कब्ज़ा है जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगी थी। अभिभाषक अजय मिश्रा के अनुसार, तीन साल पहले राज्य की भाजपा सरकार ने हाईकोर्ट  उक्त कब्जे पर शीला हुक्कू परिवार का कब्ज़ा स्वीकार कर लिया जबकि इससे पहले सरकार विरोध कर रही थी। इस कारण से यह याचिका खारिज हो गई और हुक्कू परिवार को फायदा मिल गया।

यही कारण है कि मप्र वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष गुफराने-ए-आजम की राज्य की भाजपा सरकार के साथ अच्छी पटरी बैठ रही है जबकि वे इस समय कॉँग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और कॉँग्रेस से ही सांसद सदस्य रहे। वे भारतीय हॉकी टीम के अध्यक्ष भी रहे हैं।

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