अब दक्षिण कोरिया में भी आकार लेगा नानाजी का सपना
अब दक्षिण कोरिया में भी आकार लेगा नानाजी का सपना
दक्षिण कोरिया के वोंक-वांग डिजिटल विश्वविद्यालय तथा दीनदयाल शोध संस्थान के बीच आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा एवं सामाजिक कार्यों के आदान-प्रदान के लिए जो समझौता (एमओयू) हुआ, वह इस बात का गवाह है कि संस्थान विश्वसनीयता के अहम मुकाम पर पहुंच गया है। वैसे विदेशी विश्वविद्यालय किसी भी संस्था से सहजता से नहीं जुड़ते। पहले वह जांचते हैं, परखते हैं। पूरी तरह से तसल्ली होने के बाद उससे रिश्ता कायम करते हैं। वोंक-वांग डिजिटल विश्वविद्यालय से पहले यहां आइवा वि.वि. तथा अमरीका से शोधार्थी छात्र भी आ चुके हैं। दीनदयाल शोध संस्थान की योग विधा विदेशों में बहुत पसंद की जा रही है। यहाँ जो विधा सिखाई जाती है, वह दुनिया में बहुत कम है। इतना ही नहीं, डीआरआई के सामाजिक सरोकार वाले काम को भी खूब प्रशंसा मिली है। विदेशों से आया चाहे छात्रों का दल हो या विशेषज्ञों का, संस्थान के सभी प्रकल्पों का अवलोकन करने के बाद सबने पाया कि जिस तरह का काम यह संस्था कर रही है, उसी से समाज को बदला जा सकता है । इस वर्ष वोंक-वांग डिजिटल विश्वविद्यालय तथा दीनदयाल शोध संस्थान के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए । वि.वि. के अध्यक्ष प्रोफेसर सांग ली जियोंग तथा संस्थान के प्रधान सचिव डॉ. भरत पाठक ने उस सहमति पर हस्ताक्षर किए, जिसमें संस्थान द्वारा हर वर्ष वि.वि. के ३० शोधार्थी छात्रों तथा शिक्षकों को आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा एवं सामाजिक कार्यों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसका खर्च वि.वि. उठाएगा। इस समझौते से वि.वि. के लोग अभिभूत थे। दरअसल दक्षिण कोरिया के वांक वांग डिजिटल विश्वविद्यालय का २६ छात्र-छात्राओं का दल ने यहाँ योग प्रशिक्षण लिया।
Comments
Post a Comment