beti ki bidai......

सब की आंखे नम थी कल
मंजर बिटिया की बिदाइ का था ...
किसी की तो रुलाई फूट पद रही थी
लाड़ली भी लिपट लिपट कर सिर्फ यह कह रही थे मेरे बाबा का बस खयाल रखना ...
और पिता ,लगा था बरातियो की खातिर दारी मे
यह देखने मे की दहेज का समान पूरा रख दिया की नहीं ...
पिता रोना तो बहुत चाहता है ,पर सोचता है की उसके रोने से कहि
बिटिया बेचैन न हो जाए ,पत्नी अपना सब्र न खो बैठे ....
इसलिए
जब भी वो किसी कोने मे जाता
हा थोड़ा रो लेता ,और जल्दी से आँसू पोचकर
फिर हो जाता है काम का हिस्सा ...
यह पिता जो कठोर कहलाता है
जो अपनी लाड़ली के बिना एक पल भी रह नहीं सकता
जो चाहता है की ऊसका सब कुछ देकर भी ऊसकी बिटिया हमेशा राज करे ,
वह जानता है की अब घर मे वह जब आएगा तब उस से ज़ोर से लिपट कर अब कोई नहीं प्यार करेगा
देखिये तो जनाब आज वह पिता जिसकी लाड़ली उस से दूर बहुत दूर जा रही है
और वो ठीक से आँसू भी कहा बहा पाता है....
एक पिता जो हमेशा कठोर कहलाता है
आज कहि दिखावा तो नहीं कर रहा सबके सामने ....

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